भक्ति संध्या में अनिल सैन ने अपनी बुलंद आवाज में ज्योंही ‘बरस-बरस म्हारा इंदर राजा, तूं बरस्या म्हारो काज सरै’ गाया तो पूरा परिसर तालियों की गडगड़ाहट से गूंज उठा। सैन ने करमा बाई की भक्ति से ओत प्रोत भजन थाळी भरकर ल्याई रै खीचड़ो ऊपर घी की बाटकी… सुनाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। युवा गायक दिनेश माली ने अपने मधुर स्वरों और हृदय की गहराइयों से मातृभूमि को नमन करता गीत जिसकी माटी में देह पली… सुनाया तो चारों और उल्लास भर गया। इसके बाद माली ने श्रोताओं की मांग पर सांवरा थारी माया रो पायो कोनी पार… सुनाकर लोगों को भक्तिभाव से झूमने पर मजबूर कर दिया। आकाशवाणी कलाकार कैलाश गौड़ ने अपने भजन के माध्यम से श्रोताओं को मीरां की भक्ति से जोड़ा, वहीं जैन समाज के युवा गायक श्रेयांस सिंघवी ने अपने जोशीले सुरों से आ तो सुरगां नै सरमावै इण पर देव रमण नै आवे…। सुनाकर कार्यक्रम को ऊंचाइयां प्रदान की। इस अवसर पर श्याम अटल, मुन्ना सोनी, सुनील शर्मा, शरद जोशी, भजन गायक गोपाल अटल तथा नरेन्द्र पारीक ने भी भजनों की प्रस्तुतियां देकर समारोह का यादगार बनाया। शुरुआत गजल गायक देवेन्द्र त्रिवेदी ने गणेश वंदना से की। कार्यक्रम में ऑर्गन पर छीनू सिसोदिया, ढोलक पर कैलाश गोरमात, ऑक्टोपेड पर दीलिप गोरमात तथा तबले पर अजय व्यास ने संगत की।