scriptनागौर जेल : क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी | Nagaur jail: More prisoner than capacity | Patrika News

नागौर जेल : क्षमता से डेढ़ गुना अधिक बंदी

locationनागौरPublished: Mar 07, 2018 11:49:18 am

Submitted by:

shyam choudhary

जेल में मात्र पांच बैरक, जबकि बंदियों की संख्या रहती है 100 से ज्यादा, जेल प्रशासन ने बैरक बनाने के लिए मुख्यालय भेजा प्रस्ताव

Nagaur jail

More prisoner than capacity

नागौर. देश के कानून में अपराध के दलदल में फंस चुके या अपराध की दुनिया में पैर रखने वाले लोगों को सुधारने के लिए जेलों की व्यवस्था की गई, ताकि वे सुधर सके और बाहर आकर देश के अच्छे नागरिक के रूप में एक नए जीवन की शुरुआत कर सके। लेकिन राज्य की जेलों में जिस पर कैदियों एवं बंदियों को निर्धारित क्षमता से अधिक भेड़ ठूंसा जा रहा है, उससे वहां उनका सुधार होने की बजाय बिगाड़ा हो रहा है।
एक-एक बैरक में 20 से 30 बंदी-कैदी रखे जा रहे हैं। यही स्थिति नागौर जिला मुख्यालय के जिला कारागार की है। पांच बैरक वाले जिला कारागार में 69 बंदियों/कैदियों को रखने की क्षमता है, जबकि वर्तमान में यहां 111 बंदी रखे जा रहे हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई बार यह संख्या 130 से पार हो जाती है, जिसके चलते एक बैरक में 20 से 25 बंदियों को रखना पड़ता है।
खुंखार अपराधियों को रखना पड़ता है साथ
जेल में बंदियों/कैदियों की भीड़-भाड़ अधिक होने के कारण कई प्रकार की परेशानी जेल प्रशासन के साथ बंदियों को भी होती है। जेल में पर्याप्त बैरक नहीं होने के कारण मुख्य रूप से हार्डकोर एवं खुंखार बंदियों को भी सामान्य बंदियों के साथ रखना पड़ता है। जिसके कारण या तो सामान्य बंदियों का शोषण होता है या फिर वे अपने गिरोह में मिलाने का प्रयास करते हैं, जिससे सामान्य बंदियों का सुधार होने की बजाए वे अपराध दुनिया में धंसते जाते हैं। इसके अलावा कई बार आमने-सामने के दोनों पक्षों को एक ही जेल में रखा जाता है, इस स्थिति में बैरक कम होने के कारण या तो उन्हें साथ रखना पड़ता है या फिर खाना खाने, नाश्ता करने आदि कार्यों के दौरान दोनों पक्षों में टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। नागौर जेल में इस प्रकार की स्थिति कई बार होती है, जब लड़ाई-झगड़े या अन्य विवाद के बाद दोनों पक्षों को एक साथ रखना जेल प्रशासन के लिए परेशानी भरा होता है।
डीजी के निर्देश पर प्रस्ताव भेजा
सूत्रों के अनुसार गत वर्ष जेल डीजी ने नागौर जेल का निरीक्षण किया था, उस समय उनके जेल की क्षमता एवं रखे जाने वाले बंदियों के बारे में जानकारी ली तो चौंक गए। उसके बाद उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को अतिरिक्त बैरक बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी के माध्यम से प्रस्ताव बनवाकर मुख्यालय भिजवाने के निर्देश दिए थे। हालांकि अधिकारियों ने 4 अतिरिक्त बैरक बनवाने का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेज दिया, लेकिन अब तक बजट की स्वीकृति नहीं मिली है।
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