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सांसद बेनीवाल ने राजस्थान में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने व विकसित करने की मांग उठाई

locationनागौरPublished: Mar 22, 2021 09:43:14 pm

Submitted by:

shyam choudhary

लोकसभा में यमुना नदी के बोर्ड के निर्णय के अनुसार राजस्थान के हिस्से का जल देने की भी उठाई मांग

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नागौर. राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक तथा नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने सोमवार को लोकसभा के शून्य काल में राजस्थान में सिंचित क्षेत्र विकसित करने की मांग उठाई। बेनीवाल ने राजस्थान में सिंचित क्षेत्र विकसित करने व नहरी पानी की नवीन परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाने तथा वर्तमान में विध्यमान सिंचाई परियोजनाओं के विस्तार की मांग के क्रम में बोलते हुए कहा कि योजनाबद्ध विकास के 70 वर्षों से भी अधिक समय के बाद भी राजस्थान आधारभूत संरचना की दृष्टि से अन्य राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। क्योंकि राजस्थान कृषि प्रधान राज्य है और लोगों का जीवन यापन कृषि पर ज्यादा निर्भर है, लेकिन भौगोलिक दृष्टि पर नजर डालें तो राजस्थान की अधिकतर खेती मानसून पर निर्भर है। कुल सिंचित क्षेत्र में से 64 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र कुओं व नलकूप पर निर्भर है, जबकि मात्र 33 प्रतिशत ही नहर से सिंचित होता है, जिसमे जैसलमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ तथा अल्प हिस्सा बाड़मेर, जालोर व कोटा जिले का है।
बेनीवाल ने कहा कि भारत सरकार यदि इस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करती है तो पूर्वी राजस्थान के झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर व धौलपुर आदि 13 जिलों में 26 बड़ी व मध्यम सिंचाई परियोजनाओं के साथ 2 लाख हैक्टेयर नया सिंचित क्षेत्र विकसित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में सतत प्रवाही नदियों के अभाव में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र कम है, लेकिन भारत सरकार को नवीन योजनाएं बनाकर राजस्थान के किसानों के भले के लिए सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाना चाहिए। राजस्थान में कुल सिंचित क्षेत्र का सबसे अधिक भाग श्रीगंगानगर में है, जबकि सबसे कम राजसमन्द में है। वहीं कुल कृषि क्षेत्र की सर्वाधिक सिंचाई गंगानगर में, जबकि सबसे कम चूरू जिले में होती है, इसलिए इंदिरा गांधी वृहद नहर परियोजना के अंतर्गत सिद्धमुख नोहर परियोजना का विस्तार किया जाए तो चूरू जिले के तारानगर व सहवा के साथ सूजानगढ़ क्षेत्र में भी सिंचित क्षेत्र विकसित किया जा सकता है। साथ ही बाढ़ के पानी को रोककर व पंजाब सहित अन्य राज्यों से पानी का जो हिस्सा बहकर पाकिस्तान जा रहा है, उसको रोककर व आईजीएनपी का विस्तार करके नागौर, जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध हो सकता है।
बेनीवाल ने नियम 377 के तहत यमुना बोर्ड के निर्णय अनुसार केंद्रीय जल आयोग द्वारा राजस्थान के हिस्से के यमुना के जल उपयोग के लिए ताजेवाला व ओखला हेड वक्र्स से अनुमोदित परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए हरियाणा सरकार को राजस्थान सरकार द्वारा भेजे गए एमओयू पर सहमत करने के लिए जल शक्ति मंत्री का ध्यान आकर्षित किया।
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