देखते ही रह गए चमत्कार
ऐसा कहा जाता है कि एक बार श्री बड़लेश्वर महादेव बगीची में बड़ा यज्ञ हवन चल रहा था। रात्रि हो चुकी थी और होम के लिए घी समाप्त हो गया। बाजार में दुकानें बन्द हो चुकी थी। लोग घबरा गए। स्वामी जी ने शिष्यों को कहा कि तालाब से 2 डिब्बे पानी भर लाओ और हवन चालू रखो। कल प्रात: बाजार से 2 घी के डिब्बे लाकर पुन: तालाब में डालकर उधार चुका देना। पानी के दोनों डिब्बे घी से भरे मिले और उसी से हवन पूर्ण किया। लोग स्वामी के चमत्कार को देखते ही रह गए।
विभिन्न शास्त्रों का किया अध्ययन
वे नागौर से चलकर काशी पहुंचे और वहां विभिन्न शास्त्रों का गहन अध्ययन कर पूर्ण विद्वता प्राप्त की। वहां से ज्ञान प्राप्त करके सीधे ऋषिकेश, कैलाश आश्रम पहुंचे। कैलाश आश्रम के संस्थापक व प्रथम पीठाधीश्वर स्वामी धनराज गिरी से दीक्षा ली एवं सन्यास ग्रहण कर प्रस्थानमयी एवं वेदान्त संबंधी समस्त ग्रंथों का विधिवत अध्यययन किया।