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नागौर

करोड़ों की सरकारी जमीन पर काबिज अतिक्रमियों को नोटिस

तीन साल पहले एडीजे lata Gaur ने जताई थी चिंता, अब तहसीलदार Nagaur Tehsildar ने थमाए नोटिस

नागौरMay 16, 2019 / 12:43 pm

Dharmendra gaur

Nagaur Tehsildar issue notice People for encroachment

करोड़ों की सरकारी जमीन पर काबिज अतिक्रमियों को नोटिस

सरकारी भवनों के लिए आरक्षित जमीन पर बन गई अट्टालिकाएं
-कॉलेज रोड पर बेशकीमती जमीन पर जांच में पाए अतिक्रमण
-32 अतिक्रमियों के खिलाफ होगी 91 के तहत कार्रवाई
नागौर. शहर में कॉलेज रोड पर वर्ष 1976 में सरकारी उपयोग के लिए आरक्षित की गई 40 बीघा भूमि पर अतिक्रमण हटाने को लेकर नागौर तहसीलदार ओमप्रकाश सोनी ने 32 अतिक्रमियों को नोटिस जारी किए हैं। तहसीलदार सोनी ने राजकीय भूमि पर काबिज अतिकर्मियों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज कर मकान,दुकान, बाड़े, अस्पताल, होटल अन्य निर्माण को भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 91 के तहत अतिक्रमी मानते हुए नोटिस जारी कर कारवाई शुरू की है। नगर परिषद को यह जमीन महज लेंड बैंक के रूप में अपने पास सुरक्षित रखने के लिए दी गई थी, लेकिन अधिकारियों ने इस जमीन के कुछ हिस्से में भूखंड काट दिए वहीं कुछ जमीन पर भू माफिया काबिज हो गए।

मेला मैदान में हटाए अतिक्रमण


कलक्टर को लिखा था अद्र्ध शासकीय पत्र
कॉलेज रोड पर आरक्षित सरकारी भूमि पर अतिक्रमण को लेकर कई बार शिकायतें हुईं लेकिन नगर परिषद की आधी अधूरी कार्रवाई से अतिक्रमियों पर कोई असर नहीं हुआ और यहां कब्जे होते गए। खास बात यह है कि न्यायिक कॉलोनी के पीछे स्थित इस जमीन पर बढ़ते अतिक्रमण को लेकर चिंता जताते हुए अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश -एक लता गौड़ ने मार्च 2017 में तत्कालीन कलक्टर को अद्र्ध शासकीय पत्र लिखकर कार्रवाई से अवगत कराने के लिए कहा था। इसके बाद नगर परिषद ने आनन-फानन में कुछ अतिक्रमण चिह्नित किए लेकिन प्रभावी कार्रवाई के अभाव में आज भी यहां अतिक्रमी काबिज है। मास्टर प्लान-2011-2031 की पालना तो दूर नगर परिषद सरकारी प्रयोजनार्थ आरक्षित जमीन को भी नहीं बचा पाई।

आवासीय कॉलोनी विकसित करेगी नगर परिषद


करोड़ों की जमीन को लेकर गंभीर नहीं अधिकारी
जनवरी 2015 में न्यायिक कॉलोनी के पीछे स्थित सरकारी जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर निर्माण कार्य शुरू करवाया था, लेकिन तत्कालीन सीजेएम विजयसिंह सिंवर की सूचना पर तत्कालीन कोतवाल जबर सिंह ने मौके पर पुलिस भेजी थी जबकि नगर परिषद टीम ने मौके से पत्थर व अन्य सामग्री जब्त की थी। न्यायिक कॉलोनी के पीछे स्थित सरकारी जमीन पर अतिक्रमण मामले की जानकारी को लेकर तत्कालीन नगर परिषद आयुक्त, प्रशिक्षु आईएएस डॉ. अमित यादव ने कहा था कि अतिशीघ्र उचित कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाया जाएगा, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। गत दिनों सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किए जाने की बात संज्ञान में आने पर तहसीलदार ने आरआई, पटवारी के साथ खुद मौका देखकर जांच की। जिसमें अतिक्रमण पाए गए।

केवल कलक्टर के पास आवंटन का अधिकार
नागौर जिलाधीश की ओर से 7 अगस्त 1976 को जाारी आदेश के अनुसार मानासर चौराहा से स्पाईस होटल तक राजकीय आवास एवं भवन के लिए आबादी भूमि में आरक्षित की गई थी इस भूमि पर नगरपालिका/नगर परिषद नागौर को 7-08-1976 के बाद आंवटन तथा नियमन एवं विक्रय और निर्माण स्वीकृति जारी करने का अधिकार आदेश की तिथि से समाप्त हो गए। इस भूमि के संबंध में राजकीय विभागों के भवनों एंव राजकीय आवास के लिए आंवटन का समस्त अधिकार जिला कलक्टर नागौर के पास है। 7 अगस्त 1976 के बाद नगरपालिका या नगरपरिषद नागौर द्वारा दिए गए पट्टे विधि सम्मत नहीं है एवं उस व्यक्ति द्वारा किसी अन्य को बेचान कर दिया गया है तो उसके भी अधिकार स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं।
कलक्टर ने दिए थे कार्रवाई के आदेश
तत्कालीन जिला कलक्टर ने 29 मार्च 2017 को जारी आदेश में अतिक्रमियों को कब्जा करवाने/पट्टे जारी करने तथा बिजली, पानी कनेक्शन के लिए एनओसी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के निर्देश दिए थे। यहां जिला प्रशासन ने न्यायिक अधिकारियों के आवास के पास 65 कब्जों को चिन्हित कर गलत माना था। इस जमीन से जुड़ी पत्रावलियां तत्कालीन उपखंड अधिकारी परसाराम टाक के पास भेजी गई थी। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ। अब एक बार फिर तहसीलदार सोनी ने सरकारी भूमि पर अतिक्रमण मानते हुए नोटिस जारी किए हैं। 32 अतिक्रमियों में शहर के नामी चिकित्सक, जनप्रतिनिधि, राजनेता, व्यवसायी आदि शामिल है।

अतिक्रमियों को जारी किए हैं नोटिस

सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के संबंध में जांच रिपोर्ट में अतिक्रमण की पुष्टि के बाद 32 अतिक्रमियों को नोटिस जारी किए गए हैं। सरकारी जमीन पर सरकारी प्रयोजनार्थ आवंटन का अधिकार केवल कलक्टर के पास है। नोटिस का जवाब मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

ओमप्रकाश सोनी, तहसीलदार, नागौर

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