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नागौर

VIDEO….देशी गोवंश नस्ल संवर्धन योजना फाइलों से नहीं निकल पाई बाहर

-योजना के तहत नागौर जिले में 100 गावों का किया गया था चयन

नागौरJan 16, 2024 / 10:23 pm

Sharad Shukla

Nagaur news

The native cow breed promotion scheme started five years ago could not come out of the files.

-योजना पर काम तो शुरू नहीं हो पाया, लेकिन तीन साल से विभाग ने होलस्टियन एवं जर्सी का कृतिम गर्भाधान बंद कर दिया, फिर देशी गोवंशों की संख्या की स्थिति बेहतर नहीं हो पा रही
नागौर. पशु पालन विभाग की ओर से तकरीबन पांच साल पूर्व शुरू हुई देशी गोवंश पशु नस्ल संवर्धन की योजना कागजी घोषणा से आगे नहीं बढ़ सकी। योजना के तहत नागौर ही नहीं, बल्कि अन्य किसी भी जिले में इसमें कोई प्रगति की स्थिति औसत भी नहीं रही। इसके बाद में सरकार बदली तो फिर योजना भी कागजी फाइलों में ही कैद होकर रह गई। पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि विभाग ओर से तीन साल से संकर नस्ल यानि की विदेशी सीमेन का गर्भाधान ही बंद कर दिया गया है। देशी गोवंश नस्ल संवर्धन के तहत केवल देशी गोवंश के सीमेन का ही गर्भाधान किया जा रहा है। इसकी वजह से देशी गोवंशों की संख्या बढ़ी है, लेकिन कागजी आंकड़ों में इसकी भी संख्या औसत ही रही।
योजना ही गायब हो गई
पशु पालन विभाग की ओर से वर्ष 2019 में देशी गोवंश नस्ल संवर्धन के लिए योजना की शुरुआत जोरशोर से की गई थी। योजना के तहत नागौर जिले के 100 गांवों का चयन किया गया था। अधिकारियों का कहना था कि वह चुने गए सौ गांवों में जाकर गिरी एवं थापरकर सरीखी देशी गोवंशों के सीमेन का कृतिम गर्भाधान करेंगे। घोषणा के बाद पशु पालन विभाग की ओर से उस दौरान गांवों में देशी गोवंशों के कृतिम गर्भाधान कराए जाने के दावे किए गए थे। विभागीय जानकारों का ही कहना है कि योजना शुरू होने के बाद इस पर ज्यादा काम नहीं हो सका। बाद में सरकार बदली तो फिर योजना भी गायब हो गई।
इन गांवों का किया था चयन
विभाग की ओर से इनमें जलजासनी, थांवला, पादूकला, जसनगर, बग्गर, भैरूंदा, आलनियावास, दोतीणा, सिलारिया, कासनू, जलनियासर, रोटू, डेह, पिंडिया, सोनेली, ईडवा, सांजू, जालसूखुर्द, गूढ़ाभगवानदास, धरनियावास, पांचोड़ी, मेड़ता रोड, जारोडा, नेतडिय़ा, छापरी, इंदावर, इनाना, रूपासर, भड़ाना, पलारी पिचकिया, बासनी, अलाय, श्रीबालाजी, खारीकर्म सोता, भकरोद, गोगेलॉव, मूनपुरा, सुजानपुरा, जसराना, ओमपुरा, चितावा, मोतीपुरा, अडक़सर, लिचाणा, खुनखुना, शेरानीाआबाद, छोटीखाटू, मौलासर, धनकोली, क्यामसर, लादडिय़ा, बवाड़ी, नूवां, पायेली, बूडसू, बोरावड़, बरवाली, गोगोर, पांचोता, भगवानपुरा, देवली, मीण्डा, लूणवां, चोसला, पीह, राबडिय़ाद, रूणीजा, चिताई, सिनवा, मंगलपुरा, इंदपरपुरा, सुनारी, निंबीजोधा, सिलारिया आदि शामिल है। जानकारों के अनुसार इन गांवो में आज भी देशी गोवंशों की अपेक्षा संकर नस्ल के गोवंश ज्यादा ही हैं।
देशी गोवंशों का किया जा रहा कृतिम गर्भाधान
पशु पालन विभाग के अनुसार वर्ष 2021 में ही विभाग की ओर से संकर नस्ल के गोवंंशों का कृतिम गर्भाधान बंद कर दिया गया। विभाग की ओर से पहले होलस्टियन एवं जर्सी के सीमेन का कृतिम गर्भाधान होता था। इसे बंद करने के पश्चात देशी गोवंशों में गिर, थारपार, राठी, साहीवाल एवं नागौरी नस्ल के सीमेन का ही कृतिम गर्भाधान मांग के अनुसार किया जा रहा है। इसके तहत मेड़ता, रिया, जायल, नागौर एवं खींवसर आदि के ग्रामीण क्षेत्रों में 10 हजार से ज्यादा के कृतिम गर्भाधान किए जा चुके हैं।
एक नजर इस पर भी
देशी गोवंश के कृतिम गर्भाधानों की वर्षवार संख्या
वर्ष कृतिम गर्भाधान संख्या
2021 3212
2022 3563
2023 4023

तीन साल में आंकड़े ज्यादा नहीं बढ़े
पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2021 के पहले विभाग की ओर से पिछले कई सालों से केवल होलस्टियन एवं जर्सी का ही कृतिम गर्भाधान किया जाता था। इसकी डिमांड भी पशु पालकों की ओर से ज्यादा रही है। इसकी वजह से नागौर ही नहीं, बल्कि प्रदेश में भी संकर नस्ल के गोवंशों की संख्या ज्यादा बढ़ चुकी है। अब वर्ष 2021 से ही देशी नस्ल के गोवंश का कृतिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू किया गया है। पूरे तीन साल के दौरान कुल कृतिम गर्भाधान की संख्या 10798 ही रही है। इससे स्थिति का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है। जबकि अधिकारियों का कहना है कि अभी केवल तीन साल हुए हुए हैं देशी गोवंश के उन्नत नस्ल के कृतिम गर्भाधान कार्यक्रम शुरू हुए। इसलिए अभी ज्यादा आंकड़े तो नहीं बढ़े हैं, लेकिन लगातार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसका सुखद परिणाम भी नजर आने लगेगा।
देशी दूध की गुणवत्ता बेहतर
देसी गाय के दूध में प्रोलीन होता है। स्वास्थ्य के लिए काफी लाभप्रद होता है। इसमें विटामिन डी3, व विटामिन ए प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। देसी गाय के दूध में ही रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से बचाने के तत्व पाए जाते हैं। इसमें साहिवाल, गिर, थारपारकर आदि सर्वाधिक बेहतर मानी जाती हैं।
पशुपालक बोले
सरकार को देशी गोवंश नस्ल संवर्धन के लिए और ज्यादा प्रयास करने चाहिए। इसमें लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसी योजनाएं चलाई जानी चाहिए कि इसे पालने के लिए पालक प्रेरित हो सकें।
रामावतार, पशुपालक
देशी गोवशों का दूध वास्तव में बेहतर गुणवत्ता का हेाता है। इसके बाद भी इनकी संख्या नहीं बढ़ रही है। सरकार को प्रत्येक देशी गायों के पालन के लिए सब्सिडी की बेहतर योजनाओं का संचालन करना चाहिए। ताकि इसे बल मिले।
सहदेव चौधरी, पशु पालक
इनका कहना है…
राष्टीय पशु कृतिम गर्भाधान के तहत देशी गोवंशों के नस्लीय संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। पहले से स्थिति बेहतर हुई है। विभाग की ओर से अब देशी गोवंश के उन्नत नस्ल के गोवंश सीमेन का ही कृतिम गर्भाधान भी किया जाता है। इसके परिणाम निश्चित रूप से बेहतर आएंगे।
डॉ. अयूब मोहम्मद वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी पशुपालन नागौर
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