आधे अधूरे मकानों में कैसे रहें
ठेकदार ने विभाग की ओर से जारी सूची में शामिल मकानों में प्लास्टर आदि का काम तो कर दिया लेकिन शेष काम पूरा करने से पहले ही विभागीय अधिकारियों ने काम की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए। मरम्मत कार्य में आवंटियों की ओर से शिकायत में दिए गए बिन्दुओं को शामिल करते हुए कमियों को पूरा किया जाना था, लेकिन अधिकारियों ने कुछ काम करने के बाद मकानों की मरम्मत का काम बंद करवा दिया। इससे आवंटियों की समस्या का समाधान नहीं हुआ। मकानों के टूटे दरवाजे बदलना, प्लास्टर के बाद रंग रोगन करना, खिड़कियां आदि ठीक करना, शौचालयों में कॉमोड बदलना आदि कार्य किए जाने थे, लेकिन केवल प्लास्तर किया गया। गत दिनों आवासीय अभियंता कार्यालय में आयोजित शिविर भी औपचारिकता से ज्यादा कुछ नहीं था।
अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं
विभागीय अधिकारियों ने सीवरेज लाइन के टूटे ठक्कन लगााने व सफाई के लिए जयपुर की टीम से सर्वे भी करवाया लेकिन आज तक ना तो ढक्कन लगे और ना ही सफाई का काम आगे बढ़ा। कॉलोनी में करीब 25 लाख रुपए खर्च कर कॉलोनी का काया पलट किया जाना था। पत्रिका की ओर से आवंटियों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाने के बाद आवासन मंडल विभाग अधिकारियों ने रोड लाइट, झाड़ी कटिंग, पौधरोपण व खाली भूखंडों की चार दीवारी के लिए निविदा आमंत्रित की थी। इसमें झाडिय़ां काटने का काम पूरा होने के साथ ही कॉलोनी के चारों ब्लॉक में रोड लाइट आदि लगाने व रख-रखाव के लिए करीब 18.13 लाख का कार्यादेश जारी किया गया था, लेकिन आवंटियों के कॉलोनी का रुख नहीं किया। कॉलोनी के विकास व आवंटियों की समस्याओं से अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है।