13 मोरों के मरने के बाद भी कार्रवाई नहीं
मोर राष्ट्रीय पक्षी होने के साथ ही पालतू नहीं होने के कारण वन विभाग के संरक्षण में थे। इसके बाद भी वन विभाग की ओर से शिकारियों के लिए रोकथाम के लिए न तो कोई कदम उठाए गए, और न ही एक साथ 13 राष्ट्रीय पक्षियों की हत्या करने वालों के खिलाफ कोई मामला दर्ज कराया गया। वन प्रेमियों का कहना है कि मोर राष्ट्रीय पक्षी होने की वजह से राष्ट्रय धरोहर के रूप में हैं। ऐेसे में इन्हें मारने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होना समझ से परे रहा है। विभागीय जानकारों का कहना है कि तत्कालीन डीएफओ वेदप्रकाश गुर्जर के जाने के बाद मोहित गुप्ता नए डीएफओ तो बने, लेकिन उनकी ओर से इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया गया। करीब तीन माह से वह ट्रेनिंग एवं अन्य कारणों से विभागीय कार्यालय में अनुपस्थित चल रहे हैं। ग्रामीणों की ओर से फोन किए जाने पर भी डीएफओ गुप्ता की ओर से न तो कॉल रिसीव की जाती है, और न ही उनको कोई जवाब मिलता है। इससे विभाग भगवान भरोसे चल रहा है।
इनका कहना है…
मृत मोरों का पोस्टमार्टम कराने के बाद जांच के लिए सेंपल लिया गया है। पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से कराया गया है। 23 मोरों का उपचार कराया जा रहा है।
टीकूराम, क्षेत्रीय वन्य अधिकारी नागौर