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NAGAUR नागौर ही नही, प्रदेश के कई जिलों में जिलों में धरती का सीना फाड् निकाली जा रही बजरी

locationनागौरPublished: Oct 28, 2020 10:54:37 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

NAGAUR-प्रदेश की राजधानी जयपुर के साथ ऐतिहासिक नगरी बाड़मेर व पाली व नागौर में रोजाना जैसीबी मशीन से एक ही दिन में लाखों टन निकल रही है बजरी, फिर भी अफसरों को नही दिख रहा अवैध खनन
.सवाई माधोपुर टोंक भीलवाड़ा राजसमंद ज़िले में पूरा अवैध बजरी खनन होता है नदी में

Not only Nagaur, in many districts of the state, the sewage of earth is being removed in the districts

Nagaur Illegal gravel mining is ruining the rivers of the state like this

NAGAUR.नागौर. प्रदेश की नदियों के पेटे पर जेसीबी मशीनें गरज रही हैं। रोजाना लाखों टन बजरी इधर-उधर भेजी जा रही है, लेकिन राजधानी जयपुर सहित राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों की नजर में आल इज वेल है। हालात यह हैं कि चाहे बनास नदी खनन क्षेत्र हो या फिर नागौर का लूणी नदी क्षेत्र, इन सभी जगहों पर नदियों के अस्तित्व पर यह अवैध बजरी खनन बड़ा खतरा बन गया है। कई जगहों पर तो नदियों का वजूद ही पूरा खत्म हो गया है। हालांकि सीईसी कमेटी के दौरे को ध्यान में रखते हुए दौरा होने वाले क्षेत्रों में फिलहाल खनिज विभाग ने अभियान चलाकर काम रुकवा रखा है, मगर कमेटी के जाने के बाद हालात फिर से वही हो जाएंगे। नदियां पूरी तरह से खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी है, लेकिन खनिज विभाग के कथित रूप मिलीभगत के चलते हालात बेहद भयावह हो चुके हैं। सवाई माधोपुर के खंडार से राजसमंद के रेलमगरा तक अनिनित जगहों पर बजरी माफियाओं की ओर से लगी जेसीबी के मशीनों के निशानों के साथ हुए बड़े-बड़े खड्ड साफ-साफ अवैधन खनन को दर्शा रहे हैं। इसी तरह से भीलवाड़ा के जहाजपुर और कोटडी में केवल चार बजरी की लीज है , चारों का कुल क्षेत्रफल मात्र 5.75 है। यहां पर तो बजरी खनन माफियाओं ने अवैध खनन की वजह से स्थिति बेहद खराब कर दी है। इतना ही नहींराजसमंद के रेलमगरा तहसील में भी केवल चार बजरी की लीज है। जिनका कुल क्षेत्रफल 8.56 है। इसके बाद भी इन स्थलों का दौरा किए जाने पर अवैध बजरी खनन के लिए कोई सबूत ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती है, सामने ही खुदे हुए गढ्ढे साफ सारी स्थिति को बयां कर देते हैं। बजरी खनन माफिओं से ऐतिहासिक अजमेर जिला भी अछूता नहीं रहा है। जिले में कुल पाँच लीज है जिनके से तीन रायपुर तहसील और दो भिनाय तहसील में है, लेकिन अवैध खनन व्यापक स्तर पर होने के बाद भी विभाग की नजर सबकुछ बढिय़ा है। खनिज विभाग एवं बजरी खनन माफियाओं की कथित गठजोड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीकानेर में खातेदारी वाली 63 है, लेकिन नदी के पास नहीं होने के बाद भी अवैध खनन जोरों पर चलता रहता है। इसके अलावा कई लीज सरकारी भूमि पर हैं। प्रदेश की राजधानी जयपुर जिले में एक मात्र कोटपुतली तहसील में एक लीज है। यहां पर निर्धारित मापदण्डों का तार-तार करते हुए बजरी का अवैध खनन व निर्गमन बेखौंफ धड़ल्ले से किया जाता है। इसका प्रमाण लीज में खनन कर निकली बजरी सामाग्री की मात्रा से ही स्वत: मिल जाता है। यहां पर तो बजरी खनन के लिए सैंकड़ों की संख्या में लगे हरे पेडों तक को कटवा दिया गया, लेकिन सूबे में बैठै मुखिया के सिपाहसलारों को इसकी भनक तक नहीं लगी। बनास , लूनि , सुकडी , जवाई , खारी , सापी इन नदियों में होता है भारी अवैध खनन में प्रतिदिन बजरी का खनन हजारों क्विंटल में किया जाता है, फिलहाल सीईसी कमेटी की वजह से खनिज विभाग ने अभियान चलाकर यहां पर काम तो बंद करा दिया है, लेकिन अन्य दिनों में यहां पर बेखौंफ दिन-रात अवैध खनन चलता रहता है। यहां से सैंकड़ों गाडिय़ां बजरी खनन से लदी अवैध परिवहन कर गंतव्यों के लिए रवाना होती है, लेकिन अफसरों को यह नजर आता ही नहीं है। इससे स्थिति व बिगड़े हालात को खुद-ब-खुद समझा जा सकता है।
इनका कहना है…
अवैध रूप से बजरी खनन के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। विभाग की ओर से अवैध खनन को रोके जाने के लिए हरसंभव कदम उठाए गए हैं।
भगवानसिंह सोढ़ा, अतिरिक्त निदेशक खनिज विभाग जयपुर.NAGAUR

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