scriptएसआई नहीं अब डिप्टी करेंगे दूध परिवहन में ‘हेराफेरी’ की जांच | Not SI, now deputy will investigate 'misappropriation' in milk transpo | Patrika News

एसआई नहीं अब डिप्टी करेंगे दूध परिवहन में ‘हेराफेरी’ की जांच

locationनागौरPublished: Jan 17, 2022 10:49:25 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

नागौर. दूध परिवहन में अनियमितता मामले की जांच नागौर सीओ विनोद कुमार सीपा करेंगे। अब तक इसके जांच अधिकारी (आईओ) बनवारीलाल मीणा थे। नागौर एसपी अभिजीत सिंह ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। मामले के अनुसंधान पर नागौर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड की प्रबंध संचालक (एमडी) श्रीमती प्रमोद चारण ने राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में छह दिसंबर को याचिका दायर की थी। इस पर न्यायालय ने आईओ को तलब किया था। 13 व 14 जनवरी को इस संबंध में समयाभाव के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। दो मामलों की एक साथ सुनवाई ह

कई ठेकेदार/फर्म रडार पर

एसआई नहीं अब डिप्टी करेंगे दूध परिवहन में ‘हेराफेरी’ की जांच

इसकी अगली तारीख अभी तय नहीं हो पाई है।सूत्रों के अनुसार पिछले करीब चार महीने से नागौर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड अपनी कई कई ‘कारस्तानियों’ से निशाने पर आ गया है। दूध के कारोबार में पग-पग पर के कई गलतियां पकड़ में आ रही है। पहले दूध परिवहन ठेकेदारों को राशि जमा नहीं कराने के बाद भी दूध सप्लाई कर इतना बकाया बढ़ा दिया कि एफआईआर तक दर्ज करानी पड़ी। फिर उस ठेकेदार सुखपाल चौधरी को नागौर-खाटू-बोरावड़-मकराना रूट पर दूध वितरण के साथ राशि एकत्र करने का ठेका दे दिया जो अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड से अवैध तरीके से दूध चोरी के आरोप में ‘ब्लेक लिस्टेड’ था। पांच-सात दिन के अंतर में हुई ठेके की ‘बंदरबाट’ की गड़बड़ी जब राजस्थान पत्रिका ने उजागर की तब जाकर ठेका रद्द हुआ। यही नहीं पूरे राज्यभर की डेयरियों में यह सकुर्लर निकाला गया कि एक बार ब्लेक लिस्टेड/अयोग्य ठहराए जाने वाले ठेकेदार की सूचना तुरंत जारी हो। कई जिलों में ठेकासूत्र बताते हैं कि सुखपाल चौधरी का टोंक-मालपुरा ही नहीं अजमेर, पाली के बाद नागौर में भी ‘ठेकेदारी’ की कोशिश पर भी सवाल उठे। पता चला है कि पूरे प्रदेश में अब उन ठेकेदार/फर्म की पड़ताल की जा रही है जो किसी और के नाम से इस ‘गौरखधंधे’ में लिप्त हैं। कई ठेकेदार/फर्म रडार पर हैं। सुखपाल ने नागौर में जो ठेका लिया था, उसकी रेट भी ऊंची थी। इसका कारण पूछा गया तो जिोदारों ने यही कहा कि जो अन्य फर्म थीं वो ‘भरोसेमंद’ नहीं थी, सुखपाल की रेट सही थी। निविदा रद्द होने के बाद यह कहा जाने लगा कि सुखपाल को इसमें रुचि ही नहीं थी, फिर उसने टेण्डर भरा क्यों?फिर सप्लाई क्योंदूध की अनियमितता में पांच दूध परिवहन ठेकेदार नामजद हैं। उन पर करीब सात करोड़ की राशि बकाया बताई गई है। नियमों की बात करें तो रोजाना बकाया जमा कराने के बाद ही अगली सप्लाई उठाई जा सकती थी। इनको बिना रकम जमा कराए इतने समय दूध सप्लाई कैसे कर दिया गया। लगभग दो साल लगातार यह सब हुआ तो बीच-बीच में बकाया के नोटिस क्यों नहीं दिए गए? 11 नवंबर को कोतवाली थाने में मामला दर्ज होने के बाद इसकी जांच एसआई बनवारी लाल मीणा को दी गई थी। उन्होंने डेयरी के कार्मिकों के साथ ठेकेदारों से जमा डिटेल मांगी और बयान लिए। एमडी के अनुसंधान पर सवाल उठाने के बाद हाईकोर्ट ने आईओ को तलब किया। 13 जनवरी फिर 14 जनवरी को इसकी सुनवाई थी, समयाभाव के कारण यह नहीं हो पाई। इस बीच एसपी अभिजीत सिंह ने यह जांच नागौर डिप्टी विनोद कुमार सीपा को सौंप दी। जांच नए सिरे से शुरू होगी, ऐसा माना जा रहा है कि इसका दायरा बड़ा हो सकता है, ठेकेदारों के साथ डेयरी प्रबंधन की खामियों की भी पड़ताल की जाएगी।
इनका कहना

मामले की जांच सीओ विनोद कुमार सीपा को सौंपने के आदेश जारी किए हैं।-अभिजीत सिंह, एसपी नागौर

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13 व 14 जनवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन समयाभाव के चलते नहीं हो पाई। अब नई तारीख मिलेगी। डेयरी प्रबंधन की ओर से पुलिस अनुसंधान तो ठेकेदार पक्ष की ओर से एफआईआर निरस्त करने की रिट पर एक साथ सुनवाई होगी।-भानूप्रकाश माथुर, एडवोकेट राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर०००००००००००००००००००००००००००
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