सरकारी स्कूलों के नौनिहालों को कराएंगे देश का दर्शन
मेडिकल कॉलेज खोले जाने की एक और राह आसान
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार मेडिकल कॉलेज खोले जाने की राह में आवश्यक भूखण्ड की अनुपलब्धता सबसे बड़ी बाधा थी। अब इसक आवंटन से यह बाधा पूरी तरह से समाप्त हो गई। करीब पंद्रह से बीस दिनों पूर्व आरएसआरडीसी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अरुण माथुर, मेडिकल एजूकेशन के डायरेक्टरेट असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कनानी, आरएसआरडीसी के पी. ओ.अनिल हिंगोरानी ने नागौर में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज खोले जाने के संदर्भ में दौरा भी किया था। उसी दौरान जिला प्रशासन ने मौखिक तौर पर जमीन उपलब्ध कराने पर सहमति जता दी थी। अब जिला कलक्टर दिनेश यादव की ओर से भूमि का आवंटन शर्तों सहित कर इसकी जानकारी उच्च स्तर पर प्र्र्रस्तावित कर भेज दी गई है।
वो दर्द से चीखते रहे, फिर भी चुपचाप तमाशा देखते रहे…!
छह माह के अंदर शुरू करना होगा निर्माण
जिला कलक्टर यादव ने नागौर के खसरा नंबर 113 गै. मु. गौचर (सरकारी कार्यालयों के लिए आरक्षित भूमि) रकबा 884.06 में से 50 बीघा भूमि की किस्म खारिज कर मेडिकल कॉलेज नागौर, विद्यालय भवन, खेल मैदान हेतु राजस्थान भू राजस्व (स्कूल, कॉलेजों) चिकित्सालयों, धर्मशालों तथा सार्वजनिक उपयोग के अन्य भवन निर्माणार्थ अनाधिवासित राजकीय भूमि आवंटन, नियम 1963 के तहत नि:शुल्क चिकित्सा शिक्षा विभाग को आवंटित कर दिया। छह माह की अवधि में इसका निर्माण शुरू करने के साथ ही आवंटित भूमि का कब्जा सौपें जाने के दो वर्ष भवन का निर्माण कार्य पूर्ण करने के लिए उक्त प्रयोजन हेतु उपयोगार्थ संस्था प्रधान उत्तरदायी होंगे। जिसके लिए भूमि का आवंटन किया गया है। मालिकाना हक राज्य सरकार होगा। इसी फिलहाल 99 वर्ष की लीज पर दिया गया है। निर्धारित अवधि के बाद समीक्षा करने के पश्चात उपयोगिता सार्थक सिद्ध होने पर इसका नवीनीकरण किया जा सकेगा।
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मिलेगी विशेषज्ञों की सेवाएं
मेडिकल कॉलेज बनने के बाद नागौर जिलेवासियों को उच्च स्तरीय इलाज के लिए अजमेर, जयपुर या बीकानेर अथवा जोधपुर नहीं जाना पड़ेगा। हार्ट या अन्य विशेष रोगों से संबंधित सभी बीमारियों के लिए अलग से बाकायदा यहां पर बने विभागों में विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी सेवाएं देंगे।