एएलएस एम्बुलेंस एक आईसीयू की तरह होती है। इसमें गंभीर मरीजों के लिए हर सुविधा मौजूद रहती है। यदि किसी गंभीर मरीज को रेफर किया जाता है तो देश के किसी भी अस्पताल में सुरक्षित ले जाने का काम यह एम्बुलेंस करती है। इसमें सभी जीवन रक्षक उपकरण होते हैं। आकस्मिक स्थिति के समय जरूरी दवाओं, वेंटीलेटर, डिफिब्रिलेटर सहित अन्य उपकरणों की सुविधा भी इस एम्बुलेंस में होती है।
एम्बुलेंस वाहन को तीन लाख किलोमीटर तक चलाया जाना चाहिए, इसके बाद एम्बुलेंस जैसी सेवा में वाहन को उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन गत माह सीएमएचओ ने जो रिपोर्ट एनएचएम के परियोजना निदेशक को भेजी है, उनमें 19 एम्बुलेंस वाहन 3 लाख किलोमीटर से अधिक चलकर अब कंडम हो चुके हैं। स्थिति यह है कि एक गाड़ी को छोडक़र शेष सभी 4 लाख किलोमीटर से भी अधिक चल चुकी हैं। 19 में से 7 वाहन नए मिलने के बाद अब 12 वाहन और नए चाहिए, ताकि जिले में एम्बुलेंस सेवा सुचारू बनी रह सके।
नागौर जिले में पिछले दो-तीन महीने से स्टाफ के अभाव में एम्बुलेंस 108 की सेवा प्रभावित हो रही है। जीवीके कम्पनी ने नागौर और बासनी के लिए नई गाडिय़ां तो उपलब्ध करवा दी, लेकिन स्टाफ के अभाव में दोनों गाडिय़ां पुराना अस्पताल परिसर में खड़ी हैं। गौरतलब है कि नागौर में श्रीबालाजी की एम्बुलेंस चल रही है, अब जब नागौर की एम्बुलेंस चालू होगी, तब श्रीबालाजी को वापस मिल सकेगी। इसी प्रकार मूण्डवा व खींवसर क्षेत्र में भी एम्बुलेंस स्टाफ (ईएमटी व पायलट) के अभाव में एम्बुलेंस सेवा बाधित हो रही है।