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नागौर जिले में अब चार ‘आईसीयू ऑन व्हील’, जानिए क्या होगा फायदा

locationनागौरPublished: Jan 23, 2022 11:25:35 am

Submitted by:

shyam choudhary

नागौर के बाद अब कुचामन, जायल व डेगाना में भी मिलेगी एएलएस एम्बुलेंस की सुविधाचार बीएलएस एम्बुलेंस की नई गाडिय़ां मिली, फिर भी जिले में एम्बुलेंस 108 के एक दर्जन खटारा

Now four 'ICU on wheel' in Nagaur district, know what will be benefit

Now four ‘ICU on wheel’ in Nagaur district, know what will be benefit

नागौर. जिले में अब जिला मुख्यालय सहित चार स्थानों पर ‘आईसीयू ऑन व्हील’ यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट (एएलएस) एम्बुलेंस की सुविधा मिलेगी। नागौर मुख्यालय के अलावा यह सुविधा जिले के कुचामन, जायल व डेगाना में एएलएस एम्बुलेंस उपलब्ध करवाई गई है। जैसा कि एम्बुलेंस का नाम है एएलएस यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट, वैसा ही इसका काम है। यह एम्बुलेंस एक तरह से आईसीयू है, जिसमें गंभीर मरीजों के लिए हर एक सुविधा उपलब्ध होती है। यदि किसी गंभीर मरीज को रेफर किया जाता है तो उसे देश के किसी भी हिस्से में सुरक्षित ले जाने का कार्य एएलएस एम्बुलेंस कर सकती है। हालांकि जिले को तीन नई एएलएस एम्बुलेंस हाल ही मिली है, लेकिन जिले की जनसंख्या के लिहाज से यह कम है। जिले में वर्तमान में करीब 38 लाख जनसंख्या हो चुकी है, ऐसे में जिले को एएलएस एम्बुलेंस की और आवश्यकता है।
गौरतलब है कि एम्बुलेंस 108 की सुविधा जीवीके ईएमआरआई कम्पनी द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही है, लेकिन जिले में आधी से ज्यादा (19 गाडिय़ां) एम्बुलेंस वाहन गत वर्ष दिसम्बर तक कंडम हो चुकी थीं, जिनके स्थान पर नए वाहन उपलब्ध कराने के लिए चिकित्सा विभाग ने रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी थी। एम्बुलेंस वाहनों की खराब हालत को लेकर राजस्थान पत्रिका ने भी सिलेसिलेवार समाचार प्रकाशित कर जीवीके कम्पनी एवं अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट किया था, जिसके बाद कम्पनी ने जिले में सात नई एम्बुलेंस उपलब्ध कराई है, इसमें तीन एएलएस हैं तथा चार बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) एम्बुलेंस हैं, जो नागौर जिला मुख्यालय के साथ बासनी, कुचेरा व मेड़ता को दी गई है।
एएलएस की विशेषता
एएलएस एम्बुलेंस एक आईसीयू की तरह होती है। इसमें गंभीर मरीजों के लिए हर सुविधा मौजूद रहती है। यदि किसी गंभीर मरीज को रेफर किया जाता है तो देश के किसी भी अस्पताल में सुरक्षित ले जाने का काम यह एम्बुलेंस करती है। इसमें सभी जीवन रक्षक उपकरण होते हैं। आकस्मिक स्थिति के समय जरूरी दवाओं, वेंटीलेटर, डिफिब्रिलेटर सहित अन्य उपकरणों की सुविधा भी इस एम्बुलेंस में होती है।
12 एम्बुलेंस वाहन और चाहिए
एम्बुलेंस वाहन को तीन लाख किलोमीटर तक चलाया जाना चाहिए, इसके बाद एम्बुलेंस जैसी सेवा में वाहन को उपयोग नहीं किया जा सकता, लेकिन गत माह सीएमएचओ ने जो रिपोर्ट एनएचएम के परियोजना निदेशक को भेजी है, उनमें 19 एम्बुलेंस वाहन 3 लाख किलोमीटर से अधिक चलकर अब कंडम हो चुके हैं। स्थिति यह है कि एक गाड़ी को छोडक़र शेष सभी 4 लाख किलोमीटर से भी अधिक चल चुकी हैं। 19 में से 7 वाहन नए मिलने के बाद अब 12 वाहन और नए चाहिए, ताकि जिले में एम्बुलेंस सेवा सुचारू बनी रह सके।
स्टाफ के अभाव में प्रभावित हो रही सेवा
नागौर जिले में पिछले दो-तीन महीने से स्टाफ के अभाव में एम्बुलेंस 108 की सेवा प्रभावित हो रही है। जीवीके कम्पनी ने नागौर और बासनी के लिए नई गाडिय़ां तो उपलब्ध करवा दी, लेकिन स्टाफ के अभाव में दोनों गाडिय़ां पुराना अस्पताल परिसर में खड़ी हैं। गौरतलब है कि नागौर में श्रीबालाजी की एम्बुलेंस चल रही है, अब जब नागौर की एम्बुलेंस चालू होगी, तब श्रीबालाजी को वापस मिल सकेगी। इसी प्रकार मूण्डवा व खींवसर क्षेत्र में भी एम्बुलेंस स्टाफ (ईएमटी व पायलट) के अभाव में एम्बुलेंस सेवा बाधित हो रही है।

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