ग्राउण्ड रिपोर्ट सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ सालों से बेटी पढ़ाओ से आई जागरूकता कहें या फिर हर पंचायत स्तर पर सीनियर सेकण्डरी स्कूल खुलना, इसका असर साफ दिख रहा है। पिछले तीन सत्रों में इन कक्षाओं में पढऩे वाले छात्रों की संख्या छात्राओं से कम रही। वर्ष 2019-20 में ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षा में पढऩे वाले छात्र 16 हजार 628 थे जबकि छात्राएं 18 हजार 345, सत्र 2020-21 में 21 हजार 280 छात्राओं की तुलना में छात्रों की संख्या 22 हजार 911 रही। इस सत्र 2021-22 में छात्र 28 हजार 869 हैं जबकि छात्राओं की संख्या 29 हजार 125 है। यानी तीन साल में ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षा पढऩे वाली करीब दस हजार छात्राओं की वृद्धि हुई है। बताया जाता है कि पिछले कुछ बरसों से बेटियों को खूब पढ़ाने की ललक थी, नजदीक खुले सीनियर सेकण्डरी स्कूल भी एक महत्वपूर्ण कारण रहे जो बालिकाओं को शिक्षा सहज मिलने लगी।
यहां छात्राएं ज्यादा सूत्र बताते हैं कि इस सत्र वर्ष 2021-22 में ग्यारहवीं-बारहवीं कक्षा में पढऩे वाली छात्राएं इन ब्लॉकों में छात्रों से भी अधिक हैं। डेगाना, कुचामन, लाडनूं, मेड़तासिटी, मकराना, मौलासर और नावां में छात्राओं की संख्या छात्रों से अधिक है। खींवसर, डीडवाना, डेगाना, जायल, मूण्डवा, नागौर और परबतसर में छात्र थोड़ा ज्यादा हैं। हालांकि कुल संख्या देखें तो पूरे जिले में छात्रों की तुलना में करीब दस हजार छात्राएं अधिक हैं।
चलन तो ऐसा है… सूत्रों का कहना है कि बेटे को प्राइवेट तो बेटी को सरकारी स्कूल में पढ़ाने का चलन रहा है। बावजूद इसके नागौर जिले में आधी बेटियों की पढ़ाई दसवीं के बाद समाप्त हो जाया करती थी वो चलन बदलता जा रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि आठवी-दसवी के बाद बेटियों को आगे पढ़ाने-बढ़ाने की पहल अब निखर रही है। कक्षा एक से बारहवीं तक के कुल 4 लाख 10 हजार 831 बच्चों की संख्या पर भी नजर डालें तो लड़के एक लाख 97 हजार 211 हैं तो लड़कियां 2 लाख 13 हजार 620 हैं। शहरी इलाकों में तो ये पहले भी ठीक रहा पर ग्रामीण इलाकों में बालिका शिक्षा को लेकर नई क्रांति हुई है।
इनका कहना पंचायत स्तर पर सीनियर सेकण्डरी स्कूल बढऩे, जागरूकता के साथ सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधा भी इसका कारण रहे हैं। पहले दसवी तक ही काफी बालिकाएं पढ़ती थी, अब आगे बढ़ रही हैं।
-बस्तीराम सांगवा, अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक नागौर