आवेदक ने शहर में सभी (मान्यता प्राप्त) वैध रूप से संचालित मेडिकल स्टोर, मेडिकल एजेंसियां व सर्जिकल स्टोर का नाम, संचालक का नाम व पते की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने के लिए आवेदन लगाया, जिसके जवाब में एडीसी मीना ने जवाब दिया कि शहर के मेडिकल स्टोर, मेडिकल एजेंसियों व सर्जिकल स्टोर का नाम व संचालक का नाम व पते की इस प्रकार की कोई सूची अलग से सहायक औषधि नियंत्रक के कार्यालय में संधारित नहीं है। आवेदक द्वारा चाही गई सूचना अलग-अलग दस्तावेजों में है, जो कि काफी ज्यादा दस्तावेज हैं तथा उनके कार्यालय में कनिष्ट सहायक/एल.डी.सी. का पद रिक्त है तथा कोई सहायक कर्मचारी कार्यरत नहीं है, जिससे सहायक औषधि नियंत्रक के कार्यालय का दैनिक कार्य प्रभावित होता है।
आवेदक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में कार्यालय द्वारा नागौर शहर सहित पूरे जिले में प्रतिबंधित दवाइयों के विरूद्ध किन-किन मेडिकल स्टोर्स पर कार्रवाई की गई, उसकी प्रति मांगी, जिसके जवाब में एडीसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में शहर सहित पूरे जिले में प्रतिबंधित दवाइयों के विरूद्ध मेडिकल स्टोर्स पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। उक्त बिन्दु की सूचना शून्य है। जबकि गत वर्ष तत्कालीन जिला कलक्टर के निर्देश पर औषधि नियंत्रक विभाग की ओर से शहर सहित जिले में कई दुकानों की जांच करने पर गड़बडिय़ां व प्रतिबंधित दवाइयां मिली थी।
मेडिकल व सर्जिकल स्टोर के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए नियमों व शर्तों की जानकारी मांगने पर एडीसी ने जवाब दिया कि मेडिकल व सर्जिकल स्टोर के लिए नियमों व शर्तों की सूचना औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 की पुस्तक में उपलब्ध है। औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 एवं नियमावली 1945 की पुस्तक बाजार में उपलब्ध है। इसी प्रकार जिले में कौनसे गांवों व कस्बों में मेडिकल स्टोर की सुविधा उपलब्ध है। इसका जवाब भी एडीसी ने देते हुए बताया कि इससे संबंधित सूचना इस कार्यालय में संधारित नहीं है।
जिले में पिछले कुछ समय से नशे का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। दवा की दुकानों पर भी प्रतिबंधित नशीली दवाएं खूब बिक रही हैं। इसकी जानकारी मिलने पर तत्कालीन जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने गत वर्ष जांच अभियान शुरू करवाया था, जिसमें लगभग सभी दुकानों पर गड़बड़ी मिली थी। लेकिन दुर्भाग्य से औषधि नियंत्रक कार्यालय के अधिकारियों ने करीब दो दर्जन दुकानों की जांच के बाद अभियान बंद कर दिया और वसूली शुरू कर दी। इसकी शिकायत जयपुर कार्यालय तक पहुंची तो मुख्य औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने निर्देश जारी किए कि किसी भी दवा दुकान को बार-बार चैक नहीं किया जाएगा। अब दुबारा एडीएम के निर्देश पर जांच अभियान शुरू किया गया है, लेकिन जिस प्रकार आरटीआई में एडीसी ने जवाब दिए हैं, उससे नहीं लगता कि वे कोई कार्रवाई करेंगे। ऐसे में एक ही सवाल उठ रहा है कि जांच अभियान, वसूली अभियान नहीं बन जाए।