कमेटी ने कहा, नागौर जिला हॉस्पिटल सरीखे हालात कहीं नहीं होंगे
राखियों से दुकानें सज गई
राखियों पर इस बार संयोग से विदेशी साया नहीं पड़ा। इसलिए दुकानों पर स्वदेशी राखियां ही नजर आ रही हैं। शहर के गांधी चौक, सदर बाजार, तिगरी बाजार, तहसील चौक, माही दरवाजा, नया दरवाजा, पुराना हॉस्पिटल के पीछे की रोड पर दुकानें राखियों से सजी हुई हैं। कीमत इनकी एक रुपए से लेकर दो से तीन सौ, चार सौ एवं पांच सौ तक की राखियां हैं। गांधी चौक स्थित बाजार में स्वर्णाभूूषणों की दुकान पर भी कीमती धातुओं में सोने व चांदी की बनी रेशमी राखियां भी सजी हुई हंै। पुराना हॉस्पिटल पीछे स्थित राखियों दुकान पर राखियों की बिक्री कर रहे व्यवसायी सत्यनारायण पंवार ने बताया कि राखियों में इस बार पूरी तरह से स्वदेशी का पूरा ध्यान रखा गया है। कीमत भी ऐसी है कि सामान्य से लेकर सभी तबके के लोग आसानी से खरीद सकें। एक रुपए से लेकर अधिकतम मूल्य तक की राखिया हैं। मोली की ऊॅ के आकार की, अंगूठी के आकार की हाथफूल राखी, कड़ा, झुमका और अंगूठी को मिलाते हुए बनी राखियां स्वदेशी कलात्मक शैली के साथ लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।
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कार्यक्रम भी पड़ेगा असर
इस बार स्वधीनता दिवस एवं राखी का पर्व एकसाथ होने की वजह से शिक्षण संस्थानों सहित प्रशासनिक कार्यक्रमों पर भी इसका असर पडऩे की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि राखियों का मुहूर्त पूरे दिन होने के कारण कार्यक्रमों में सहभागिता भी सहजता से की जा सकती है। इस संबंध में एक शिक्षाधिकारी दबी जुबान से कार्यक्रमों के प्रभावित होने की आशंका जताते हुए कहा कि कई स्कूलों में इस बार का कार्यक्रम फीका ही ही रहेगा।Nagaur patrika latest news.