नागौर

हाईकोर्ट के आदेश पर दस्तयाब हुई नाबालिग का फिर अपहरण

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
नागौर. जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने जिस लापता बालिका को करीब ढाई महीने पहले दस्तयाब किया था, उसका फिर अपहरण हो गया है। मामला फिर गच्छीपुरा थाने में दर्ज हुआ है।

नागौरOct 16, 2021 / 09:35 pm

Sandeep Pandey

लापता बालिका को करीब ढाई महीने पहले दस्तयाब किया था, उसका फिर अपहरण

20 सितंबर को अजमेर के बालिका गृह से ही आई थी अपने घर
गत पांच अगस्त को बालिका को पुलिस ने दस्तयाब किया था। जो बीस सितंबर तक अजमेर के बालिका गृह में रही। बाद में शर्तों पर माता-पिता के पास आई तो 12 अक्टूबर को फिर अपह्रत कर ली गई। पुलिस बालिका को तलाश करने में जुटी है।सूत्र बताते हैं कि नाबालिग बालिका के पिता की ओर से यह रिपोर्ट लिखाई गई है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि बालिका जिस युवक के साथ पहले गई थी, वही अपने साथियों के साथ उसको ले गया है। बालिका पहले गायब हुई थी तो करीब डेढ़ साल बाद पुलिस के हाथ आई। बालिका के बालिग-नाबालिग होने पर लंबी बहस और फैसले भी हुए। बालिका दोबारा दस्तयाब हुई थी, इसके बाद फिर अपहरण ने पुलिस की मुश्किल बढ़ा दी है। करीब ढाई महीने पहले यही बालिका नाटकीय ढंग से गच्छीपुरा स्टेशन पर कहीं जाने की फिराक में पकड़ी गई थी। इसे बाल कल्याण समिति (सीडब्न्यूसी) को सौंपा गया, क्योंकि उसकी को बालिका की आयु के पुनर्निधारण की जिम्मेदारी हाईकोर्ट ने सौंपी थी। स्कूलों से मिले दस्तावेज के बाद वो नाबालिग घोषित कर दी गई। माता-पिता के साथ जाने से मना किया तो उसे अजमेर के बालिका गृह में भेज दिया गया। बीस सितंबर को वो कुछ शर्तों पर माता-पिता के पास वापस अपने गांव-घर आ गई। यहां 12 अक्टूबर को इसका फिर अपहरण हो गया।
बड़ी उलझी रही दस्तयाबी

कई महीनों पर पुलिस की लापरवाही पर हाईकोर्ट ने गत 19 जून को अपने आदेश में गच्छीपुरा थाना प्रभारी को बीस अगस्त तक बालिका को दस्तयाब करने को कहा था। इसकी मॉनिटरिंग के लिए नागौर एसपी को जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद तत्कालीन गच्छीपुरा थाना प्रभारी देवीलाल के नेतृत्व में बालिका की तलाश शुरू हुई। पुलिस की दो टीम इसकी तलाश में तेलंगाना, महाराष्ट्र और बेंगलुरू भेजी गई। वहीं गच्छीपुरा समेत अन्य इलाकों में भी उसको ढूंढा गया। एसएचओ देवीलाल को सुबह मुखबिर की सूचना पर बालिका को ट्रेन से कहीं जाने की फिराक में गच्छीपुरा स्टेशन पर पकड़ लिया। सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष मनोज सोनी व अन्य सदस्यों ने बालिका से माता-पिता के पास जाने की इच्छा पूछी तो उसने मना कर दिया। बाद में उसके नाबालिग होने के दस्तावेज सोनी ने हाईकोर्ट में पेश किए।
यह है मामला

मामला मार्च 2020 में कोरोना संक्रमण पर हुए लॉक डाउन से पहले का है। बालिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट गच्छीपुरा थाने में दर्ज हुई थी। एक युवक पर उसको भगा ले जाने का आरोप लगाया गया। दो-ढार्ई महीने बाद बालिका खुद थाने के समक्ष पेश हुई। इस पर तत्कालीन थाना प्रभारी अब्दुल रउफ खोखर ने माता-पिता को बुलाकर बालिका को सुपुर्द किया पर तब भी बालिका ने उनके साथ जाने से मना कर दिया था। बालिका ने खुद के बालिग होने का दावा किया। इसके बाद थाना प्रभारी के पास दस्तावेज में बालिका को नाबालिग मानते हुए बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया जहां से उसे बालिका गृृह भेज गया। बालिका के मेडिकल होने के बाद उसके स्वतंत्र करने के समय हुई गफलत में वो फिर लापता हो गई। हाईकोर्ट के आयु निर्धारण करने के आदेश के बाद सीडब्ल्यूसी ने पूर्व के सभी आदेशों को रद्द कर नए सिरे से कार्रवाई शुरू की थी। पहले बालिका दस्तयाब पुलिस ने नहीं की थी वो खुद थाने आई थी।
इनका कहना है

करीब 22 दिन पहले ही अजमेर स्थित बालिका गृह से घर आई थी। 12 अक्टूबर को उसका अपहरण हो गया। पता नहीं कौन ले गया, शक तो पहले वाले युवक पर ही है।
-पीडि़ता का पिता

अपहरण का मामला दर्ज किया गया है। संभावित ठिकानों पर उसकी तलाश की जा रही है। इसके लिए पुलिस टीमें भेजी गई हैं।

-अमरचंद, थाना प्रभारी गच्छीपुरा

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