गौरतलब है कि कोरोना महामारी से पहले सरकार अस्पतालों में मरीजों को देखने के लिए सुबह व शाम को आउटडोर में डॉक्टर बैठते थे, लेकिन कोरोना काल के दौरान अस्पतालों में कोविड मरीजों की संख्या बढऩे व संक्रमण को रोकने के लिए दूसरे मरीजों को कोविड-19 मरीजों के सम्पर्क में आने से बचाने के लिए सरकार ने एक पारी कर दी थी, जिसके बाद डॉक्टर सुबह अस्पताल पहुंचते हैं और दोपहर में घर चले जाते हैं, इसके बाद दूसरे दिन ही अस्पताल पहुंचते हैं, जिससे मरीजों को जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए उनके घर तक जाना पड़ता है, जहां फीस चुकानी पड़ती है।
दो बजे मिलती है जांच रिपोर्ट
जिला मुख्यालय के जेएलएन राजकीय अस्पताल में गर्मियों के सीजन में आउटडोर का समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक का है। यानी 2 बजे डॉक्टर घर चले जाते हैं। उधर, मरीज जब अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने जाता है तो अधिकतर बीमारियों में खून, पेशाब सहित अन्य जांचें करवाई जाती है, ताकि बीमारी को पहचान सकें और उसी अनुरूप दवा लिख सकें, लेकिन अस्पताल में जांच रिपोर्ट भी दोपहर 2 बजे दी जाती है। मरीज के हाथ में जब तक जांच रिपोर्ट आती है तब तक डॉक्टर घर जा चुके होते हैं, इसलिए मरीज को सम्बन्धित डॉक्टर के घर जाना पड़ता है। घर जाने पर मरीज को डॉक्टर की फीस चुकानी पड़ती है, साथ ही अधिकतर मरीजों को दवा भी बाजार से खरीदनी पड़ती है, क्योंकि घर पर डॉक्टर बाहर की दवा ही लिखते हैं।
जिला मुख्यालय के जेएलएन राजकीय अस्पताल में गर्मियों के सीजन में आउटडोर का समय सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक का है। यानी 2 बजे डॉक्टर घर चले जाते हैं। उधर, मरीज जब अस्पताल में डॉक्टर को दिखाने जाता है तो अधिकतर बीमारियों में खून, पेशाब सहित अन्य जांचें करवाई जाती है, ताकि बीमारी को पहचान सकें और उसी अनुरूप दवा लिख सकें, लेकिन अस्पताल में जांच रिपोर्ट भी दोपहर 2 बजे दी जाती है। मरीज के हाथ में जब तक जांच रिपोर्ट आती है तब तक डॉक्टर घर जा चुके होते हैं, इसलिए मरीज को सम्बन्धित डॉक्टर के घर जाना पड़ता है। घर जाने पर मरीज को डॉक्टर की फीस चुकानी पड़ती है, साथ ही अधिकतर मरीजों को दवा भी बाजार से खरीदनी पड़ती है, क्योंकि घर पर डॉक्टर बाहर की दवा ही लिखते हैं।
गांव से आने वालों को परेशानी ज्यादा
एक पारी की व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को सबसे अधिक परेशानी और नुकसान हो रहा है। सामान्य बीमारियों का इलाज स्थानीय स्तर पर हो जाता है, लेकिन गंभीर बीमारी पर उन्हें जिला मुख्यालय के अस्पताल में आना पड़ता है और यहां आते ही डॉक्टर सबसे पहले उसे जांच कराने के लिए कहते हैं। जांच कराने पर रिपोर्ट दो बजे दी जाती है, जिसके कारण उसे मजबूरी में डॉक्टर के घर जाना पड़ता है। शहर वाले मरीज तो दूसरे दिन भी दिखा सकते हैं, लेकिन ग्रामीण यदि फीस से बचना चाहे तो उसे दूसरे दिन फीस जितना किराया लग जाता है, इसलिए वे डॉक्टर को घर पर जाकर दिखाना ही उचित समझता है।
एक पारी की व्यवस्था से ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को सबसे अधिक परेशानी और नुकसान हो रहा है। सामान्य बीमारियों का इलाज स्थानीय स्तर पर हो जाता है, लेकिन गंभीर बीमारी पर उन्हें जिला मुख्यालय के अस्पताल में आना पड़ता है और यहां आते ही डॉक्टर सबसे पहले उसे जांच कराने के लिए कहते हैं। जांच कराने पर रिपोर्ट दो बजे दी जाती है, जिसके कारण उसे मजबूरी में डॉक्टर के घर जाना पड़ता है। शहर वाले मरीज तो दूसरे दिन भी दिखा सकते हैं, लेकिन ग्रामीण यदि फीस से बचना चाहे तो उसे दूसरे दिन फीस जितना किराया लग जाता है, इसलिए वे डॉक्टर को घर पर जाकर दिखाना ही उचित समझता है।
रोजाना 800 से ज्यादा आउटडोर
जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल की बात करें तो यहां रविवार को छोडकऱ सप्ताह के छह दिन 800 से अधिक का आउटडोर रहता है। सोमवार को यह आंकड़ा एक हजार के पास चला जाता है, इनमें से अधिकतर को कोई न कोई जांच करानी पड़ती है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मरीजों को डॉक्टरों के घर पर जाना पड़ता है।
जिला मुख्यालय के जेएलएन अस्पताल की बात करें तो यहां रविवार को छोडकऱ सप्ताह के छह दिन 800 से अधिक का आउटडोर रहता है। सोमवार को यह आंकड़ा एक हजार के पास चला जाता है, इनमें से अधिकतर को कोई न कोई जांच करानी पड़ती है। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मरीजों को डॉक्टरों के घर पर जाना पड़ता है।
ये कैसा नि:शुल्क इलाज
पेट में काफी दिन से दर्द होने पर मैं डॉक्टर को दिखाने के लिए जेएलएन अस्पतालल आया। यहां डॉक्टर ने विभिन्न प्रकार की जांचें लिखी, जिसकी रिपोर्ट मुझे 2 बजे बाद मिली। जब जांच रिपोर्ट आई, तब तक डॉक्टर घर जा चुके थे। इस पर मुझे जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए उनके घर जाना पड़ा, जहां फीस देनी पड़ी।
- मोजीराम, ग्रामीण, बू-कर्मसोता
पेट में काफी दिन से दर्द होने पर मैं डॉक्टर को दिखाने के लिए जेएलएन अस्पतालल आया। यहां डॉक्टर ने विभिन्न प्रकार की जांचें लिखी, जिसकी रिपोर्ट मुझे 2 बजे बाद मिली। जब जांच रिपोर्ट आई, तब तक डॉक्टर घर जा चुके थे। इस पर मुझे जांच रिपोर्ट दिखाने के लिए उनके घर जाना पड़ा, जहां फीस देनी पड़ी।
- मोजीराम, ग्रामीण, बू-कर्मसोता
जांच में समय तो लगता है
अस्पताल में जयपुर मुख्यालय के निर्देशानुसार ही एक पारी की व्यवस्था है। इसलिए दो पारी की व्यवस्था भी वहीं से होगी। जहां तक जांच रिपोर्ट देने की बात है तो जांचें अधिक होने व प्रक्रिया लम्बी होने के कारण दो बजे से पहले नहीं दे सकते।
- डॉ. महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर
अस्पताल में जयपुर मुख्यालय के निर्देशानुसार ही एक पारी की व्यवस्था है। इसलिए दो पारी की व्यवस्था भी वहीं से होगी। जहां तक जांच रिपोर्ट देने की बात है तो जांचें अधिक होने व प्रक्रिया लम्बी होने के कारण दो बजे से पहले नहीं दे सकते।
- डॉ. महेश पंवार, पीएमओ, जेएलएन अस्पताल, नागौर