नागौर

आठ साल से बन्द है ऑपरेशन थियेटर

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नागौरSep 22, 2018 / 06:55 pm

Pratap Singh Soni

नावां के सामुदायिक चिकित्सालय में ऑपरेशन थियेटर पर लगा ताला।

नावां शहर. शहर के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के साथ-साथ चिकित्सकों की कमी आम लोगों को बहुत खल रही है। मरीजों को भारी परेशानी होने के अलावा अपनी बीमारियों का इलाज कराने कुचामन, जयपुर सहित अन्य बड़े शहरों के चिकित्सालयों में जाना पड़ता है। वर्षो से यह चिकित्सालय बदहाली का दंश झेल रहा है। नावां का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केवल रैफरल हॉस्पीटल है। यहां केवल सर्दी जुखाम व बुखार के मरीजों का उपचार किया जाता है। अन्य गंभीर मरीजों व दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद रैफर कर दिया जाता है। चिकित्सालय में चिकित्सकों के पद रिक्त पड़े है। जिससे क्षेत्र के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। नावां का चिकित्सालय अपनी ही दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। यहां न तो पर्याप्त चिकित्सक है और न ही मरीजों के लिए माकूल इंतजाम। चिकित्सालय में मेडिसिन, सर्जरी जैसे कई महत्वपूर्ण पद खाली पड़े है। मरीजों के उपचार के लिए कोई सुविधाएं नहीं है। ऐसे में यहां चिकित्सक मरीजों को परामर्श देकर उपचार के लिए कुचामन अथवा जयपुर भेज देते है।

ऑपरेशन थियटर पर ताला
शहर के सामुदायिक चिकित्सालय में सर्जन का पद भी लम्बे समय से रिक्त चल रहा है। जिसके चलते चिकित्सालय में बना ऑपरेशन थियेटर का कमरा भी लगभग आठ साल से बन्द पड़ा है। 2010 में चिकित्सक राजवीर के जाने के बाद से सर्जन पद रिक्त ही पड़ा हुआ है। जिससे ऑपरेशन थियेटर के हालात बिगड़ गए है। ऑपरेशन थियेटर के नाम पर बस केवल एक कमरा रह गया है जिस पर ताला लगा हुआ रहता है। चिकित्सालय में ना तो सर्जन चिकित्सक है और ही ऑपरेशन थियेटर का सामान आया है।

महिला चिकित्सक की कमी से कम होते प्रसव
चिकित्सालय में प्रसूता एवं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं होने व केवल पुरुष चिकित्सक ही होने के कारण यहां पर प्रसव बहुत ही कम हो पाते है। चिकित्सालय में प्रतिमाह औसतन 10 से 12 प्रसव भी नहीं हो पाते है। प्रसव ना के बराबर होने की वजह से चिकित्सालय का एसएनसीयू वार्ड में नवजातों के लिए रखी मशीनें धूल फांकती नजर आती है। चिकित्साधिकारी रामदेव दूण ने बताया कि जब महिला चिकित्सक राजकुमारी बारुपाल नावां में कार्य कर रही थी तब प्रतिमाह औसतन 60 से 70 प्रसव होते थे। पद रिक्त होने के चलते यह संख्या 10 से 12 पर आ गई है। यदि चिकित्सालय में महिला चिकित्सक नियुक्त कर दी जाए तो शहर की महिलाओं का काफी लाभ मिलेगा।

चिकित्सकों की भारी कमी
चिकित्सालय में चिकित्सकों के कुल सात पद है जिनमें से वर्तमान में चार पद रिक्त पड़े है। सर्जन, फिजिशियन सहित अन्य चिकित्सकों के पद रिक्त होने के कारण शहर की जनता को भारी खामियाजा उठाना पड़ता है। इसके साथ ही सहायक रेडियोग्राफर, स्वीपर व वार्ड बॉय के पद भी रिक्त होने के कारण चिकित्सालय की व्यवस्थाएं बिगड़ रही है। जनप्रतिनिधियों व स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते शहर की जनता को चिकित्सालय सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

आन्दोलन के बाद भी नहीं सुधरे हालात
शहर के बजरंगी ग्रुप के सदस्यों सहित आमजन की ओर से चिकित्सालय में रिक्त पदों पर चिकित्सक व गायनिक चिकित्सक की नियुक्ती को लेकर आन्दोलन किया गया। शहर का मुख्य बाजार बन्द करवाने, कैण्डल मार्च निकालने, मौन जुलूस निकालने के साथ ही विरोध प्रदर्शन किया गया। लेकिन विधायक व चिकित्सा मंत्री की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया गया और ना ही चिकित्सक लगाए गए। चिकित्सा मंत्री की ओर से जिन चिकित्सकों के आदेश जारी किए गए उन्होंने कार्यभार ग्रहण ही नहीं किया।

इनका कहना
चिकित्सालय में महिला चिकित्सक नियुक्त होने से शहर की महिलाओं का काफी लाभ मिलेगा। सर्जन चिकित्सक नहीं होने के चलते ऑपरेशन थियेटर बन्द ही पड़ा रहता है। हमारी ओर से विभागीय प्रयास किए जाते है लेकिन चिकित्सकों की नियुक्ती नहीं हो रही है। सर्जन व गायनिक चिकित्सक की कमी से आमजन को परेशानी उठानी पड़ रही है।
रामदेव दूण, चिकित्सा प्रभारी, नावां शहर

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