दवाएं एक लिमिट तक कार्य करती हैं
इस अवसर पर राजस्थान पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि फिजियोथेरेपी चिकित्सा कई ऐसी बीमारियों का इलाज करती है, जिसमें दवाएं सिर्फ एक लिमिट तक ही काम करती हैं। उन्होंने बताया कि दवा दर्द को दूर जरूर करती है, लेकिन दर्द के कारण को दूर करने के लिए फिजियोथेरेपी की कारगर उपचार है। उन्होंने कहा कि यदि लकवा के मरीज की बात करें तो इसमें दवाओं का नहीं बल्कि फिजियोथेरेपी इलाज से ही कामयाबी मिलेगी। घुटनों में मौजूद साइनोविल फ्लूड कम होने पर घुटने की हड्डियां आपस में रगडऩे लगती हैं और सर्फेस रफ हो जाता है, जिससे घुटनों में असहनीय पीड़ा होती है। घुटनों का दर्द अगर प्रारंभिक स्टेज में है तो फिजियोथेरेपी बहुत ही अच्छा विकल्प है। इसके अलावा फे्रक्चर में सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को भी फिजियोथेरेपी के माध्यम से बिना दवा के ठीक किया जा सकता है। करीब १५ साल पहले दूर-दराज के लोगों को फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति के बारे में पता ही नहीं था। अब पूरे राजथान ही नहीं बल्कि देश भर में लोग इसके लिए जागरूक हुए हैं।
इस अवसर पर राजस्थान पत्रिका से बातचीत में उन्होंने बताया कि फिजियोथेरेपी चिकित्सा कई ऐसी बीमारियों का इलाज करती है, जिसमें दवाएं सिर्फ एक लिमिट तक ही काम करती हैं। उन्होंने बताया कि दवा दर्द को दूर जरूर करती है, लेकिन दर्द के कारण को दूर करने के लिए फिजियोथेरेपी की कारगर उपचार है। उन्होंने कहा कि यदि लकवा के मरीज की बात करें तो इसमें दवाओं का नहीं बल्कि फिजियोथेरेपी इलाज से ही कामयाबी मिलेगी। घुटनों में मौजूद साइनोविल फ्लूड कम होने पर घुटने की हड्डियां आपस में रगडऩे लगती हैं और सर्फेस रफ हो जाता है, जिससे घुटनों में असहनीय पीड़ा होती है। घुटनों का दर्द अगर प्रारंभिक स्टेज में है तो फिजियोथेरेपी बहुत ही अच्छा विकल्प है। इसके अलावा फे्रक्चर में सर्जरी के बाद होने वाले दर्द को भी फिजियोथेरेपी के माध्यम से बिना दवा के ठीक किया जा सकता है। करीब १५ साल पहले दूर-दराज के लोगों को फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति के बारे में पता ही नहीं था। अब पूरे राजथान ही नहीं बल्कि देश भर में लोग इसके लिए जागरूक हुए हैं।
अंग्रेजी दवा से बेहतर
फिजियोथैरेपी अंग्रेजी इलाज से कहीं बेहतर है। एलोपैथिक इलाज आपको कुछ समय के लिए राहत दिला सकता है, लेकिन उस समस्या से छुटकारा नहीं जबकि फिजियोथेरेपी बीमारियों को पूरी तरह खत्म करती है। उन्होंने बताया कि आज देशभर में बड़ी संख्या में लोग लकवा, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटना दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क, सेरेबर्ल पालसी, जन्मजात निशक्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं और इसका इलाज सिर्फ फिजियोथेरेपी से ही हो सकता है। इसके बावजूद सरकार से फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति को किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है। कार्यशाला में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राजकुमार बारोडिय़ा, डॉ. मतीन्द्र भाटी, डॉ. यशपाल, डॉ. अवतार डोई, डॉ. रामसियाग, डॉ. इशाक, डॉ. जीसी लखारा, डॉ. प्रकाश जाखड़, डॉ. लक्ष्मण सिंह, श्रेयांस सिंघवी, महावीर इंटरनेशनल के अध्यक्ष नरेन्द्र संखलेचा, जोन चेयरमैन अनिल बांठियां व भाजपा नेता अर्जुन महरिया आदि मौजूद थे।
फिजियोथैरेपी अंग्रेजी इलाज से कहीं बेहतर है। एलोपैथिक इलाज आपको कुछ समय के लिए राहत दिला सकता है, लेकिन उस समस्या से छुटकारा नहीं जबकि फिजियोथेरेपी बीमारियों को पूरी तरह खत्म करती है। उन्होंने बताया कि आज देशभर में बड़ी संख्या में लोग लकवा, कमर दर्द, गर्दन दर्द, घुटना दर्द, साइटिका, स्लिप डिस्क, सेरेबर्ल पालसी, जन्मजात निशक्त जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं और इसका इलाज सिर्फ फिजियोथेरेपी से ही हो सकता है। इसके बावजूद सरकार से फिजियोथेरेपी चिकित्सा पद्धति को किसी तरह का सहयोग नहीं मिल रहा है। कार्यशाला में फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. राजकुमार बारोडिय़ा, डॉ. मतीन्द्र भाटी, डॉ. यशपाल, डॉ. अवतार डोई, डॉ. रामसियाग, डॉ. इशाक, डॉ. जीसी लखारा, डॉ. प्रकाश जाखड़, डॉ. लक्ष्मण सिंह, श्रेयांस सिंघवी, महावीर इंटरनेशनल के अध्यक्ष नरेन्द्र संखलेचा, जोन चेयरमैन अनिल बांठियां व भाजपा नेता अर्जुन महरिया आदि मौजूद थे।