पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा ने बताया कि जिले में रविवार को 5652 पशुओं का सर्वे किया गया, जिसमें से 897 पशु संक्रमित पाए गए। 776 का उपचार किया गया तथा 137 रिकवर हुए, जबकि 20 पशुओं की मौत हो गई।
गोसेवा आयोग अध्यक्ष मेवाराम जैन ने कहा कि नागौर की बजाए बाड़मेर, जालोर, जैसलमेर जिलों में स्थिति ज्यादा विकट है, लेकिन हमारा प्रयास है कि इलाज के अभाव में किसी पशु की मौत नहीं हो। उन्होंने कहा कि दवाई की कमी नहीं आने देंगे, यही सरकार का प्रयास है। मुख्यमंत्री गहलोत ने निर्देश दिए हैं कि धरातल की स्थिति को देखें, इसलिए हम प्रभावित जिलों का दौरा कर रहे हैं। जैन महावीर गोशाला प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि सड़कों पर आने वाले गोवंश का समाधान निकालने के लिए सरकार अब गोशालाओं में नंदी रखने की अनिवार्यता लागू करने पर विचार कर रही है।
नागौर शहर गुड़ला रोड पर महावीर गोसेवा समिति की ओर से संचालित गोशाला का निरीक्षण कर बीमार गोवंश की जानकारी ली। इसके बाद गोशाला परिसर में ही गोशाला प्रतिनिधियों एवं विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर पशुओं की बीमारी सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा की। सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी।
मंत्री भाया ने कहा कि राज्य सरकार ने गोशालाओं का अनुदान छह महीने की जगह नौ महीने कर दिया है। अब सरकार गोशालाओं में उपचारत बीमार गोवंश का अनुदान 12 महीने करने पर विचार कर रही है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि बीमारी के इलाज में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सभी का प्रयास इस विषम परिस्थिति में गोवंश को बचाना है। इसके लिए दवा खरीद के टेंडर सहित अन्य प्रक्रिया में शिथिलता दी है।
जिले में अब तक 3 लाख 90 हजार 706 पशुओं का सर्वे किया जा चुका है, जिसमें 25 हजार 810 पशु संक्रमित पाए गए हैं। पशुपालन विभाग की टीमों ने संक्रमित पशुओं में से 22 हजार 448 का उपचार कर दिया है और 5830 पशु रिकवर भी हो चुके हैं, लेकिन चिंता का विषय यह है कि जिले में बीमारी की चपेट में आए 1228 पशुओं की मौत भी हो चुकी है।