हिन्दी व अंग्रेजी दोनों भाषा में तैयार होगी डॉक्यूमेंट्री फिल्म
पद्मश्री भांभू की जीवनी पर बनने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म का शीर्षक ‘ट्री मैन ऑफ राजस्थान पद्मश्री हिम्मताराम भांभू’ रखा जाएगा। इसमें पर्यावरण के क्षेत्र में किए गए कार्यों को बताया जाएगा। करीब आधे घंटे की प्रेरणादायक फिल्म में भांभू द्वारा किए गए कार्यों का भी फिल्मांकन किया जाएगा। खास बात यह है कि फिल्म हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषा में बनाई जाएगी, जिसके चलते देश के साथ विदेशों में भी इसे देखा व समझा जा सकेगा। फिल्म बनाने के लिए विभाग ने करीब 9 माह का समय दिया है। इसके लिए भारत सरकार ने करीब पौने 3 लाख की राशि स्वीकृत की है। फिल्म मंत्रालय ने पद्म पुरस्कार विजेता कुल 24 व्यक्तियों का चयन किया है, जिसमें राजस्थान से अकेले भांभू ही हैं।
पद्मश्री भांभू की जीवनी पर बनने वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म का शीर्षक ‘ट्री मैन ऑफ राजस्थान पद्मश्री हिम्मताराम भांभू’ रखा जाएगा। इसमें पर्यावरण के क्षेत्र में किए गए कार्यों को बताया जाएगा। करीब आधे घंटे की प्रेरणादायक फिल्म में भांभू द्वारा किए गए कार्यों का भी फिल्मांकन किया जाएगा। खास बात यह है कि फिल्म हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषा में बनाई जाएगी, जिसके चलते देश के साथ विदेशों में भी इसे देखा व समझा जा सकेगा। फिल्म बनाने के लिए विभाग ने करीब 9 माह का समय दिया है। इसके लिए भारत सरकार ने करीब पौने 3 लाख की राशि स्वीकृत की है। फिल्म मंत्रालय ने पद्म पुरस्कार विजेता कुल 24 व्यक्तियों का चयन किया है, जिसमें राजस्थान से अकेले भांभू ही हैं।
पद्मश्री भांभू ने पर्यावरण संरक्षण में लगा दिया पूरा जीवन
जिले के सुखवासी गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे हिम्मताराम भांभू पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। भांभू ने अपना जीवन पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समर्पित कर दिया है। भांभू ने न केवल पिछले 35 वर्षों में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए, बल्कि उनके द्वारा लगाए गए साढ़े तीन लाख पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। भांभू ने नागौर के निकट हरिमा गांव के पास 25 बीघा जमीन खरीदकर उस पर 11 हजार पौधे लगाकर जंगल का रूप दिया है। ताकि लोगों को पर्यावरण का महत्व बता सकें। भाम्भू ने यहां पर्यावरण प्रदर्शनी भी बना रखी है।
जिले के सुखवासी गांव के साधारण किसान परिवार में जन्मे हिम्मताराम भांभू पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। भांभू ने अपना जीवन पर्यावरण संरक्षण और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समर्पित कर दिया है। भांभू ने न केवल पिछले 35 वर्षों में 5 लाख से अधिक पौधे लगाए, बल्कि उनके द्वारा लगाए गए साढ़े तीन लाख पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। भांभू ने नागौर के निकट हरिमा गांव के पास 25 बीघा जमीन खरीदकर उस पर 11 हजार पौधे लगाकर जंगल का रूप दिया है। ताकि लोगों को पर्यावरण का महत्व बता सकें। भाम्भू ने यहां पर्यावरण प्रदर्शनी भी बना रखी है।
वन्य जीवों के लिए खुद लड़ते हैं मुकदमे
भांभू पर्यावरण संरक्षण के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी हर वक्त तैयार रहते हैं। वन विभाग से ज्यादा सक्रिय रहकर शिकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं और कोर्ट में मुकदमे भी खुद के खर्चे से लड़ते हैं। कई बार वन विभाग कार्रवाई से पीछे हट जाता है, लेकिन भांभू डटकर मुकाबला करते हैं।
भांभू पर्यावरण संरक्षण के साथ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए भी हर वक्त तैयार रहते हैं। वन विभाग से ज्यादा सक्रिय रहकर शिकारियों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हैं और कोर्ट में मुकदमे भी खुद के खर्चे से लड़ते हैं। कई बार वन विभाग कार्रवाई से पीछे हट जाता है, लेकिन भांभू डटकर मुकाबला करते हैं।
हिम्मताराम भांभू की उपलब्धियां
- पर्यावरण प्रेमी भाम्भू को 23 मार्च 2015 को राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार - 2014 प्रदान किया गया।
- भाम्भू को 1999 में पर्यावरण यूनेस्को पुरस्कार व 1999 में ही राज्य सरकार द्वारा सर्वोत्तम वन प्रहरी पुरस्कार मिल चुका है।
- 2003 में राज्य स्तरीय अमृता देवी विशनोई पुरस्कार दिया गया।
- जिला प्रशासन, वन विभाग, पशुपालन विभाग और अनेक स्वयं सेवी संस्थाओं से कई बार सम्मानित हो चुके हैं। 'पीपुल फॉर एनिमल्स' की राष्ट्रीय अध्यक्ष मेनका गांधी ने भी भाम्भू को सम्मानित किया है।
- भांभू को 2000-2016 तक राज्य सरकार ने मानद वन्य जीव प्रतिपालक की उपाधि से नवाजा है।