नागौरPublished: Apr 16, 2018 07:48:32 pm
Pratap Singh Soni
बुटाटी आने वाले पीडि़तों के लिए स्टेशन के प्लेटफार्म पर चढऩा व उतरना पड़ता है भारी
नागौर. प्लेटफार्म पर आने वाली गाड़ी में चढऩे के लिए मरीजों को पटरियों पर खड़ा रहना पड़ता है।
बार-बार कहने के बावजूद रेलवे नहीं कर रहा सुनवाई, अब मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
नागौर. जिले के बुटाटी स्थित चतुरदास महाराज के मंदिर में आने वाले लकवा मरीजों को आते-जाते रेण स्टेशन पर कड़ी परीक्षा से गुरजना पड़ रहा है। स्टेशन पर न तो लकवा रोगियों के लिए आराम करने की कोई व्यवस्था है और न ही दो नम्बर प्लेटफार्म पर जाने व आने के लिए कोई रास्ता। व्हील चेयर पर आने वाले मरीजों को एक नम्बर प्लेटफार्म की पटरियां पार करवाकर दो नम्बर प्लेटफार्म पर जाने में क्या-क्या परेशानी आती है, यह उनके परिजनों से बेहतर कोई नहीं जानता। गंभीर एवं चिंतनीय बिन्दु तो यह है कि रेण निवासी आरटीआई कार्यकर्ता दीनदयाल बंग ने इस सम्बन्ध में पहले रेलवे को पत्र लिखकर अवगत करवाया था, लेकिन रेलवे अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। इसके बाद बंग ने मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर एवं स्टेशन के फोटो भेजकर लकवा पीडि़तों की परेशानी से अवगत कराया, जिस पर आयोग ने रेलवे से जवाब मांगा है।
स्टेशन पर करना पड़ता है घंटों इंतजार
गौरतलब है कि बुटाटी धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं एवं मरीजों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ गई है। एकादशी एवं मेले के दौरान तो यह संख्या हजारों-लाखों में पहुंच जाती है। इसमें जितने लोग स्थानीय होते हैं, उतने ही बाहरी जिलों एवं राज्यों से भी आते हैं। बाहर से आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु व मरीज रेल मार्ग से ही आते हैं, लेकिन सबसे नजदीकी स्टेशन रेण पर मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं होने से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ती है। कई ट्रेन पिछले काफी समय से घंटों लेट चल रही हैं, जिसके चलते मरीजों को व्हील चेयर पर बैठकर घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। इसका दूसरा पहलू यह है कि गाडिय़ां देरी से चलने से रेलवे को भी करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। जोधपुर-दिल्ली सराय गाड़ी पिछले करीब 9-10 महीने से लगातार निर्धारित समय से देरी से चल रही है, इसके चलते गाड़ी आते व जाते समय खाली रहती है।
रेण स्टेशन की उपेक्षा
छोटे-छोटे स्टेशनों पर रूकने वाली यात्री गाडिय़ां भी रेण स्टेशन पर नहीं रूकती, जिसके चलते लकवा रोगियों को मजबूरन अन्य स्टेशनों से यात्रा करनी पड़ती है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत ली गई जानकारी में यह भी खुलासा हुआ है कि रेण की तुलना में अन्य कई बड़े स्टेशनों की आय कम है, इसके बावजूद रेलवे बोर्ड ध्यान नहीं दे रहा है।