12 ज्योर्तिलिंग दर्शन के बाद स्थापना
मंदिर में स्थापित मूर्ति अष्टधातु से निर्मित है, जिसमें पारा भी शामिल है। मूर्ति का वजन 16 क्विंटल 60 किलो है। योगी गणेशनाथ के शिष्य तथा वर्तमान में मंदिर के महंत रघुनाथ ने बताया कि 1998 में मूर्ति स्थापना से पहले इस मूर्ति को 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए घुमाया गया था। जिसमें 45 दिन लगे थे। महंत ने बताया कि उसके बाद यहां 121 कुण्डीय यज्ञ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महंत का दावा है कि इस शैली का भारत में यह प्रथम मंदिर है। हालांकि इस मंदिर के निर्माण के बाद इस तरह के मंदिर अन्य भी बने हैं।
मंदिर में स्थापित मूर्ति अष्टधातु से निर्मित है, जिसमें पारा भी शामिल है। मूर्ति का वजन 16 क्विंटल 60 किलो है। योगी गणेशनाथ के शिष्य तथा वर्तमान में मंदिर के महंत रघुनाथ ने बताया कि 1998 में मूर्ति स्थापना से पहले इस मूर्ति को 12 ज्योर्तिलिंग के दर्शन के लिए घुमाया गया था। जिसमें 45 दिन लगे थे। महंत ने बताया कि उसके बाद यहां 121 कुण्डीय यज्ञ किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। महंत का दावा है कि इस शैली का भारत में यह प्रथम मंदिर है। हालांकि इस मंदिर के निर्माण के बाद इस तरह के मंदिर अन्य भी बने हैं।
जानिए, पशुपतिनाथ के बारे में
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है। पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। 15वीं शताब्दी के राजा प्रताप मल्ल से शुरू हुई परंपरा है कि मंदिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।
पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बागमती नदी के किनारे देवपाटन गांव में स्थित एक हिंदू मंदिर है। नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने से पहले यह मंदिर राष्ट्रीय देवता, भगवान पशुपतिनाथ का मुख्य निवास माना जाता था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व सांस्कृतिक विरासत स्थल की सूची में सूचीबद्ध है। पशुपतिनाथ में आस्था रखने वालों (मुख्य रूप से हिंदुओं) को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति है। यह मंदिर नेपाल में शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है। 15वीं शताब्दी के राजा प्रताप मल्ल से शुरू हुई परंपरा है कि मंदिर में चार पुजारी (भट्ट) और एक मुख्य पुजारी (मूल-भट्ट) दक्षिण भारत के ब्राह्मणों में से रखे जाते हैं।