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जुखाम-खांसी-बुखार होते ही डॉक्टर को दिखाएं, क्योंकि 9 दिन में 37 मौतें इमरजेंसी में ही हो गई

locationनागौरPublished: May 10, 2021 09:01:21 am

Submitted by:

shyam choudhary

ग्रामीण क्षेत्र के लोग स्थिति गंभीर होने पर पहुंच रहे अस्पताल, फिर महामारी नहीं देती बचने का चांस- जेएलएन अस्पताल की इमरजेंसी की स्थिति नाजुक, फर्श पर सो रहे मरीज

Patients sleeping on the floor in JLN hospital emergency

Patients sleeping on the floor in JLN hospital emergency

नागौर. मई माह के 9 दिन में जेएलएन अस्पताल की इमरजेंसी में 37 मौतें हो चुकी हैं। देखा जाए तो एक दिन में औसतन चार मौत हो रही है। इसमें 18 जने तो ऐसे थे, जो अस्पताल आए, तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थी, जबकि 19 जनों की मौत इमरजेंसी में उपचार के दौरान हो गई। यानी ये वो मरीज थे, जो इमरजेंसी से वार्ड तक नहीं पहुंच पाए। वजह भले ही वार्ड में जगह नहीं होना रही, लेकिन इन लोगों की स्थिति इतनी गंभीर इसलिए हुई, क्योंकि उन्होंने खांसी, जुखाम, बुखार, उल्टी-दस्त जैसी छोटी बीमारियों को शुरू में नजर अंदाज किया या फिर गांव में बैठे किसी झोलाछाप या कंपाउण्डर से दवा ले ली। जब सांस लेने में तकलीफ हुई या फिर तबीयत ज्यादा खराब हुई तो अस्पताल आए, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। चिकित्सा विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि खांसी, जुखाम, बुखार, उल्टी-दस्त जैसी शिकायत होने पर तुरंत अपने निकटतम चिकित्सक को दिखाएं, जो एमडी फिजिशियन या एमबीबीएस हो।
जेएलएन अस्पताल पर मरीजों का दबाव इतना कि फर्श पर लेटाकर कर रहे उपचार
जिला मुख्यालय के जेएलएन राजकीय अस्पताल में कोरोना एवं सस्पेक्ट मरीजों का भार काफी ज्यादा बढ़ गया है। स्थिति यह है कि मरीजों को कोविड वार्ड के साथ इमरजेंसी में भी बेड नसीब नहीं हो रहे हैं। रविवार को इमरजेंसी की स्थिति यह थी कि बेड, स्ट्रेचर, बेंच आदि पर मरीजों को लेटाने के बाद जगह नहीं बची तो परिजनों व नर्सिंगकर्मियों ने गत्ते बिछाकर मरीजों को फर्श पर ही लेटा दिया, ताकि उनका उपचार शुरू हो सके। संसाधन भले ही कम हैं, लेकिन चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ लोगों को बचाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।
इस बार गांवों से ज्यादा मरीज
कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर का असर शहरों की बजाए गांवों में ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग बीमारी के शुरुआती दिनों में घर पर ही देसी उपचार लेते हैं और गंभीर स्थिति होने पर अस्पताल पहुंचते हैं, जिसके कारण इस बार मौतें भी ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों की ज्यादा हो रही हैं।
हल्के में नहीं लें बीमारी – डॉ. भाकल
जेएलएन अस्पताल के एमडी फिजिशियन डॉ. सुरेन्द्र भाकल का कहना है कि वर्तमान में किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लें। जुखाम, खांसी, बुखार आदि होने पर डॉक्टर को दिखाएं। यदि डॉक्टर द्वारा सीटी स्केन या दूसरी कोई जांच लिखी जाती है तो हाथों-हाथ जांच करवाएं और वापस रिपोर्ट दिखवाएं, ताकि बीमारी का शुरुआती स्टेज पर ही उपचार शुरू हो सके। इसके साथ निम्न बातों का भी ध्यान रखें –
लापरवाही नहीं करें, डॉक्टर को दिखाएं
बुखार, उल्टी-दस्त, जुखाम, खांसी, सांस में तकलीफ या बदन दर्द जैसे कोई भी लक्षण हो तो तुरंत अपने निकटतम चिकित्सक एमडी फिजिशियन या एमबीबीएस डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही डॉक्टर द्वारा दिए गए परामर्श को फॉलो करें और छोटी बीमारी नजरअंदाज नहीं करें।
– डॉ. सहदेव चौधरी, एमडी फिजिशियन, जेएलएन अस्पताल, नागौर
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