जिला मुख्यालय के जेएलएन राजकीय अस्पताल में कोरोना एवं सस्पेक्ट मरीजों का भार काफी ज्यादा बढ़ गया है। स्थिति यह है कि मरीजों को कोविड वार्ड के साथ इमरजेंसी में भी बेड नसीब नहीं हो रहे हैं। रविवार को इमरजेंसी की स्थिति यह थी कि बेड, स्ट्रेचर, बेंच आदि पर मरीजों को लेटाने के बाद जगह नहीं बची तो परिजनों व नर्सिंगकर्मियों ने गत्ते बिछाकर मरीजों को फर्श पर ही लेटा दिया, ताकि उनका उपचार शुरू हो सके। संसाधन भले ही कम हैं, लेकिन चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ लोगों को बचाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर का असर शहरों की बजाए गांवों में ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग बीमारी के शुरुआती दिनों में घर पर ही देसी उपचार लेते हैं और गंभीर स्थिति होने पर अस्पताल पहुंचते हैं, जिसके कारण इस बार मौतें भी ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों की ज्यादा हो रही हैं।
जेएलएन अस्पताल के एमडी फिजिशियन डॉ. सुरेन्द्र भाकल का कहना है कि वर्तमान में किसी भी बीमारी को हल्के में नहीं लें। जुखाम, खांसी, बुखार आदि होने पर डॉक्टर को दिखाएं। यदि डॉक्टर द्वारा सीटी स्केन या दूसरी कोई जांच लिखी जाती है तो हाथों-हाथ जांच करवाएं और वापस रिपोर्ट दिखवाएं, ताकि बीमारी का शुरुआती स्टेज पर ही उपचार शुरू हो सके। इसके साथ निम्न बातों का भी ध्यान रखें –
बुखार, उल्टी-दस्त, जुखाम, खांसी, सांस में तकलीफ या बदन दर्द जैसे कोई भी लक्षण हो तो तुरंत अपने निकटतम चिकित्सक एमडी फिजिशियन या एमबीबीएस डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही डॉक्टर द्वारा दिए गए परामर्श को फॉलो करें और छोटी बीमारी नजरअंदाज नहीं करें।
– डॉ. सहदेव चौधरी, एमडी फिजिशियन, जेएलएन अस्पताल, नागौर