कंपनी के पक्ष व विपक्ष में बड़ी संख्या में लिखित प्रतिवेदन सक्षम अधिकारियों के समक्ष पेश किए गए। मंडल की ओर से इस संबंध में जारी की संक्षिप्त रिपोर्ट पर लोगों ने सवाल खड़े किए। विधायक बेनीवाल ने रिपोर्ट में आसपास के नाडी तालाबों को दरकिनार कर दूर-दराज के नाडी तालाबों का उल्लेख करने पर कंपनी की मंशा पर प्रश्नचिह्न लगाए। प्लांट से होने वाले प्रदूषण, स्थानीय लोगाें को रोजगार नहीं देने सहित अन्य मुद्दों का हवाला देते हुए युवाओं ने उग्र प्रदर्शन किया। इससे एक बारगी माहौल गर्मा गया।
निर्धारित समय से करीब पौने घंटे बाद पर्यावरण सलाहकार रमेश मेहरा ने जनसुनवाई की शुरूआत में उन्होंने खनन क्षमता अभिवृद्धि के बारे में जानकारी देते हुए पर्यावरणीय अध्ययन की रिपोर्ट पेश की। इस दौरान ईनाणा के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश ईनाणियां ने आसपास के गांवों के तालाबों का उल्लेख करने की बजाय रिपोर्ट में दस किलोमीटर दूर के तालाबों को शामिल करने पर ऐतराज जताया।
पूर्व उपजिला प्रमुख सहदेव चौधरी ने पूरी रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए इस रिपोर्ट की एसआईटी गठित कर जांच करने और जनसुनवाई दुबारा करने की मांग रखी। रिपोर्ट को लेकर भारतीय किसान संघ के जस्साराम सिरोही, रामनिवास राव सहित कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। किसान संघ ने वर्ष 2010 में हुई जनसुनवाई का हवाला देते हुए जनसुनवाई के औचित्य पर कई सवाल उठाए।
युवा नेता सुभाष कंदोई, भाजपा नेता लक्ष्मीनारायण मुण्डेल, पूर्व पालिका अध्यक्ष सीताराम चौधरी व घनश्याम सदावत, अर्जुन मुण्डेल, रेंवतराम डांगा, ज्ञान प्रकाश ईनाणियां, सुरेन्द्र दौतड़, शिव चौधरी, शिवराज डिडेल ने भी आपत्तियां दर्ज करवाई। इस दौरान ईनाणा सरपंच रूपाराम रोज, रामलाल ईनाणियां, जगराम ईनाणियां, पालड़ी जोधा सरपंच जगदीश खोजा सहित कई मौजीज लोग मौजूद रहे।
बेनीवाल ने जताया गहरा ऐतराज
विधायक ने अधिकारियों को लोकहित में सही रिपोर्ट बनाकर सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कई तथ्यों को छिपाकर व गलत तथ्य सरकार के सामने पेश कर स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया गया है। जारी ईआईए रिपोर्ट में प्लांट की 10 किमी की परिधि में सिर्फ 5 तालाब ही बताए गए हैं। जबकि धरातल पर लगभग 25 छोटे बड़े तालाबों के होने की जानकारी सामने आई है।
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार के 21 जून 1999 के गजट नॉटिफिकेशन में स्पष्ट उल्लेख है कि नगर निगमों, नगर परिषद, नगर पालिका के पास किसी उद्योग की नई इकाई व प्लांट नहीं लगाया जा सकता। लेकिन यह प्लांट मूण्डवा शहर से दो किमी दूर बताया गया है, जबकि वास्तव में यह मूण्डवा नगरपालिका के वार्ड संख्या एक से सटा हुआ है। रेलवे ट्रेक और हाइवे के भी पास में है। पहले हुई जनसुनवाई में दर्ज आपतियों पर बिना कोई कार्यवाही किए उसे निरस्त कर दिया। प्राकृतिक तालाबों के कैचमेंट एरिया को ओवरलेप कर दिया है। इससे पानी का प्रवाह बन्द हो गया। प्लांट की वजह से आस पास के पशुओं के चरने के लिए बने चारागाह समाप्त हो गए। फैक्ट्री से निकलने वाले धुंए से आसपास के तालाबो का पानी भी दूषित हो रहा है।
प्लांट से निकलने वाले धुंए से मूण्डवा शहर सहित रूपासर, खेण, ईनाणा, खेरवाड, डिडिया़ के ग्रामीण परेशान है। विधायक ने नियमों को दरकिनार कर इस प्लांट को जारी किए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र को निरस्त कर अधिकारियों को सही रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा।
अधिकारी बोले एडीएम ने कहा कि जन सुनवाई में जितनी भी आपत्तियां और सुझाव आए हैं उन सभी को संकलित कर पूरी रिपोर्ट आगे भेजेंगे। क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा कि आपत्तियों के संबंध में जो समाधान कर वे सकते हैं, करेंगे। तालाबों के संबंध में भी लिखा जाएगा। अंबुजा के यूनिट हेड हेमेन्द्र राठौड़ ने कहा कि जो परेशानियां बताई गई है। उनका पूरा निदान करने का प्रयास करेंगे। जनरल मैनेजर लोकेश श्रीमाली ने बताया कि विस्तृत रिपोर्ट में कैचमेंट एरिया की संकलित जानकारी लिखी गई है। हालांकि इससे विधायक संतुष्ठ नहीं हुए।
पुलिस रही मुस्तैद पुलिस का भारी बंदोबस्त जनसुनवाई के दौरान पुलिस का भारी बंदोबस्त रहा। आंसूगैस छोड़ने वाली गाड़ी के अलावा एम्बुलेंस व फायर बिग्रेड भी आयोजन स्थल के बाहर खड़े किए गए। मूण्डवा वृताधिकारी विजय कुमार सांखला, जायल वृताधिकारी रामेश्वरलाल, मूण्डवा थानाधिकारी रिछपालसिंह, कुचेरा थानाधिकारी विमला चौधरी, खाटू,सुरपालिया के थानाधिकारी व भावंडा थाना अधिकारी जाप्ते के साथ मौजूद रहे।