चिकनी मिट्टी से मिला फायदा-
गन्ने की खेती के लिए अमूमन भुरभुरी, चिकनी दोमट मिट्टी व काली भारी मिट््टी सर्वोत्तम होती है। लूणवां क्षेत्र के खेतों में चिकनी मिट्टी ही पाई जाती है। किसान ज्ञानाराम ने बताया कि गन्ने की फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत होती है। नमी की कमी की दशा में रोपाई के 20-25 दिन के बाद एक हल्की सिंचाई करने से अपेक्षाकृत अच्छा जमाव होता है। ग्रीष्म ऋ तु में 10-15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करना चाहिए। वर्षाकाल में गन्ने की बढ़तवार होती है।
धनतेरस के पहले दिन होगी कटाई- किसान ज्ञानाराम रैगर ने बताया कि दीपावली त्योहार पर बिक्री के लिए धनतेरस के पहले दिन गन्ने की कटाई की जाएगी। प्रति बड़े जोड़े के 50 रुपए, मध्यम के 40 व छोटे के 30 रुपए के हिसाब बेचेंगे। बाद में दुबारा गन्ने की रोपाई की जाएगी।
लम्बे समय का जीवनकाल-
जानकारी के अनुसार गन्ना अन्य फसलों की अपेक्षा लम्बी अवधि की फसल है। यह वर्ष के हर एक मौसम से गुजरते हुए अपना जीवन काल पूरा करती है। गन्ना की फसल गुड़ व चीनी का प्रमुख स्त्रोत है। इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आन्धप्रदेश, तमिलनाडु आदि राज्यों में प्रमुखता से की जाती है। यह एक नगदी फसल है।
शीतकालीन खेती से अतिरिक्त आय- आजकल वैसे संसाधन उपलब्ध होने पर वर्ष में किसी भी समय गन्ने की रोपाई की जा सकती है। परन्तु सामान्यतया गन्ने की रोपाई फरवरी-मार्च बसंत ऋ तु एवं अक्टूबर-नवंबर में किया जाना प्रचलित है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि शरदकालीन गन्ना की फसल अधिक मुनाफा देती है, क्योंकि इसके अन्तर्गत अन्तरवर्ती खेती का समावेश किया जा सकता है। इसके साथ मेथी, गोभी, टमाटर, लहसुन, अजवायन, धनियां, जीरा आदि लगाकर अतिरिक्त आय प्राप्ति की जा सकती है।