लिखता चला फिर जो लिखता रहा
डरा नहीं फिर डटा रहा लेकर के संकल्प
सभी मुद्दों को था उठाया प्रमुखता से
कुलिश बना हिंदी पत्रकारिता जनक छप्पन से चली फिर छियासी तक
सच लिखती रही थी जो अनवरत
शिक्षा हो या चुंगी और हाइकोर्ट
कलम मुद्दों को उठाती रही सतत
डरा नहीं फिर डटा रहा लेकर के संकल्प
सभी मुद्दों को था उठाया प्रमुखता से
कुलिश बना हिंदी पत्रकारिता जनक छप्पन से चली फिर छियासी तक
सच लिखती रही थी जो अनवरत
शिक्षा हो या चुंगी और हाइकोर्ट
कलम मुद्दों को उठाती रही सतत
शुरू से ही सर्वोपरि रहा पाठक का मन
उसी के इर्द गिर्द चली कुलिश जी की कलम
आपातकाल में भी था जो खूब रहा निडर
सच्चाई को लिखने का रखता था इलम ।। जयंती पर कुलिश जी को नमन
उसी के इर्द गिर्द चली कुलिश जी की कलम
आपातकाल में भी था जो खूब रहा निडर
सच्चाई को लिखने का रखता था इलम ।। जयंती पर कुलिश जी को नमन
✍️ महेश कुमार माही
कुचामन सिटी (नागौर, राजस्थान)