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नागौर

कोयले की डस्ट व धुआं उगल रहा जहर

खदान के कोयले की उड़ती रेत व धुंए से वातावरण प्रदूषित

नागौरNov 16, 2018 / 06:24 pm

Anuj Chhangani

tarnau news

कोयले की डस्ट व धुआं उगल रहा जहर

नागौर/तरनाऊ. नागौर जिले की प्रसिद्व मातासुख लिग्नाईट परियोजना अब ग्रामीणों के लिए बीमारियों का कराण बनने लगी है। वर्ष 2003 में आरएसएमएमएल द्वारा मातासुख गांव से महज आधा किमी दूर कोयले की खदान शुरू की गई थी। पन्द्रह साल से यहां लिग्नाईट कोयले का खनन किया जा रहा है। कोयले का खनन करने के साथ मानक परिस्थितियों के अनुरूप माइंस का संचालन करना होता है लेकिन मातासुख गांव में चल रही इस परियोजना में आरएसएमएमएल की मनमानी से खनन कार्य में सुरक्षा प्रबंध को लेकर कोई काम नहीं हो रहा है। इस कारण आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। माइंस से उडऩे वाली डस्ट व कोयला जलने से होने वाला धुआं आमजन के लिए परेशानी बन गया है। खदान से आए दिन कई ट्रक कोयले से लोड होकर राजस्थान सहितदेश के विभिन्न हिस्सों तक परिवहन पहुंचते हैं। इससे सरकार को रोजाना का लाखों का राजस्व प्राप्त होता है लेकिन खनन कार्य के दौरान उड़ती डस्ट व धुंऐ से निजात नहीं मिल पा रही है। नतीजतन क्षैत्र के लोगों में सिलिकोसिस, श्वांस संबंधी व चर्म रोग होने लगा है। माइंस क्षैत्र में रोजाना समय पर पानी का छिडक़ाव नहीं होने से गांव मातासुख व फरड़ोद के ग्रामीणों को अब धीमे जहर का असर दिखना शुरू हो गया है। आरसएमएमएल के आला अधिकारी समय-समय पर पानी का छिडक़ाव करने का दावा कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इस बात से साफ इंनकार कर रहे हैं। माइंस क्षैत्र से रोजाना ट्रक गुजरने पर टायरों से पीस कर बारिक डस्ट इस कदर उड़ती है कि आसपास कुछ दिखना भी तक बंद हो जाता है। दूसरी ओर कोयला भरने व खाली करने वाले गोदामों में आए दिन ट्रक चालकों द्वारा धूम्रपान करने से कोयला जल उठता है जो घंटों जलता रहता है लेकिन कोयले को बुझाने के लिए आरएसएमएमएल द्वारा पानी का छिडक़ाव तक नहीं किया जाता। फरड़ोद में तैनात कम्पाउंडर हनुमानराम बताते है कि क्षैत्र में सिलिकोसिस सहित डस्ट जनित रोगी बढ़ रहे हैं। ग्रामीण पप्पुराम, शैतानराम, रामनिवास बताते है कि माइंस चलाने के साथ ही आरएसएमएमएल द्वारा समय पर पानी का छिडक़ाव नहीं करने से विभिन्न प्रकार के रोग होने लगे हैं। माइंस के अधिकारियों द्वारा गलत रिपोर्ट देने से यहां का प्रदूषण स्तर तक नहीं जांचा जा रहा है। इस संबंध में आरएसएमएमएल के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया ,लेकिन उन्होंन कुछ भी कहने से साफ इनकार कर दिया।

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