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प्रमोशन के इंतजार में बुढ़ाने लगे पुलिसकर्मी

locationनागौरPublished: Jul 16, 2021 11:27:17 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

संदीप पाण्डेयनागौर. तकरीबन पांच साल से प्रमोशन पर अटके पेंच से खाकी महकमे की हालत पतली हो गई है। जिले के थानों की हालत तो यह है कि सीआई से सीधा हैड कांस्टेबल, इनके बीच की एसआई-एएसआई की महत्वपूर्ण कड़ी नदारद है। आईओ (अनुसंधान अधिकारी) की तंगी चल रही है, साथ ही अनेक पुलिसकर्मी अपने प्रमोशन के इंतजार में बुढ़ाने लगे हैं।

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प्रमोशन के इंतजार में बुढ़ाने लगे पुलिसकर्मी
जिले में एएसआई के 65 फीसदी पद खाली

-स्टाफ की तंगी से बेहाल खाकी
-प्रमोशन पर अटके पेंच में पांच साल से योग्यता परीक्षा नहीं

-जांच का बोझा कांस्टेबल-हैड कांस्टेबल पर
-अधिकरण के फैसले के बाद सरकार की अपील का मूड बताएगा कि कब होगा परेशानी का अंत
पड़ताल

कहीं सरकार की अपील तो कहीं पदोन्नति बोर्ड बनने का इंतजार भले ही हो पर हालात बढ़ते अपराध की नूरा-कुश्ती में खाकी पर भारी पड़ सकते हैं।

सूत्रों के अनुसार वर्ष 2017-18 से प्रमोशन के लिए योग्यता परीक्षा नहीं हुई है। यानी पदोन्नति प्रक्रिया तभी से रुकी पड़ी है। वर्ष 2015-16 में हैड कांस्टेबल से एएसआई का प्रमोशन टेस्ट हुआ। राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण जयपुर ने इस मामले में करीब तीन दर्जन काल्पनिक पद बनाने के आदेश दिए। अधिकरण ने जिला नागौर की अपील के सम्बंध में अपीलार्थियों को वर्ष 2012-13 से वरिष्ठता देने तथा वर्ष 2012-13 में पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में छाया पद सृजित कर वरिष्ठता देने के आदेश प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही अधिकरण ने कहा है कि छाया पद सृजित कर उन्हें पदोन्नति से भरा जाए, यदि जरूरी हो तो अन्य रैंक के भी छाया पद सृजित किए जाएं। पद का सृजन जिस साल हुआ है, उसका उपयोग उससे पहले या बाद के सालों में नहीं किया जा सकता। पता चला है कि वर्ष 16-17 में आदेश यह भी दिया गया कि हर वर्ष प्रमोशन टेस्ट तो जारी रखें, लेकिन परिणाम जारी न करें। अपील अधिकरण संबंधी मामले में पूरे निपटारे के बाद ये जारी किए जाएं। बताया जाता है कि वर्ष 2012-13 में जिनका चयन किया गया था, उसमें से रिक्त पदों को रिव्यू किया। पदों की कमी के कारण कुछ को वर्ष 2012-13 से वर्ष 13-14 में समायोजित कर दिया। इन्हीं लोगों ने राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण में रिट लगाई।
सूत्र बताते हैं कि पूर्व में जारी एक आदेश को अक्टूबर 17 में तत्कालीन डीजी ने नए फरमान से अपास्त कर दिया। उन्होंने रिक्त पदों का निर्धारण वर्षवार करने के निर्देश प्रदान किए। इस आदेश में विजय सिंह व उम्मेद सिंह बनाम सरकार के दो अलग-अलग फैसलों में सरकार द्वारा आगे अपील दायर नहीं करने की भी जानकारी दी थी। अभी हाल ही अधिकरण के फैसले पर सरकार का क्या रुख होगा, इस पर भी मामला अधरझूल में लटक गया है। अब छाया पद के निर्णय पर सरकार अपील करेगा या नहीं, इसका इंतजार हो रहा है। और तो और प्रमोशन के पेंच में फंसे पुलिसकर्मी आईजी एस सेंगाथिर और एसपी अभिजीत सिंह से भी मिले। दोनों अधिकारियों ने उनकी मांगों को सही तो माना पर कानूनी अड़चन के बीच अपीलार्थियों को राहत कैसे मिले।
एसआई के ही पचास फीसदी पद खाली
सूत्र बताते हैं कि नई भर्ती नहीं होने के साथ प्रमोशन प्रक्रिया अटकने से जिले के थानों की हालत खराब है। अकेले सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) के ही 65 फीसदी पद खाली हैं, जबकि मामलों के अनुसंधान की सबसे मजबूत कड़ी एएसआई को ही माना जाता है। जिले में एएसआई के स्वीकृत पद 114 में से 74 पद खाली हैं, ये भी प्रमोशन की उलझन से। जिले में एसआई के 71 स्वीकृत पदों में 34 पद खाली हैं। गौरतलब है कि एसआई के पचास प्रतिशत पद प्रमोशन तो पचास प्रतिशत सीधी भर्ती से भरे जाते हैं। हैड कांस्टेबल के स्वीकृत 404 में से 90 तो कांस्टेबल के 77 पद खाली हैं। यानी जिले के थाने स्टाफ की किल्लत से जूझ रहे हैं। मजबूत कड़ी एसआई-एएसआई नहीं होने से जांच कांस्टेबल-हैड कांस्टेबल कर रहे हैं, काम के बोझ के मारे इन पुलिसकर्मियों से आखिर जांच का काम भी जल्द कैसे पूरा हो। तंगी का आलम यह है कि तीन थाने तो बिना प्रभारी के ही चल रहे हैं।
पदोन्नति बोर्ड बनेगा या…
सूत्र बताते हैं कि राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने अप्रेल में ही पुलिस विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह हैड कांस्टेबल से पुलिस निरीक्षक पद तक पदोन्नति के लिए पदोन्नति बोर्ड का गठन करे। पदोन्नति बोर्ड शुरुआत में उच्च पद पर पदोन्नति करते हुए कांस्टेबल तक पहुंचे, ताकि पात्र उम्मीदवार को पदोन्नति के लिए खाली पद मिल सके। पदोन्नति बोर्ड बनाने की पहले कई सालों से चल रहे हैं। पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया की ही पुलिस मुख्यालय ने नहीं सुनी थी, जबकि वे एक दर्जन बार मुख्यालय और गृह सचिव को पदोन्नति बोर्ड का ड्राफ्ट तैयार करने की कह चुके थे। मामला पुलिस कांस्टेबल से लेकर उप निरीक्षक तक के प्रमोशन का है। ये प्रमोशन अभी विभागीय परीक्षा से होते हैं। तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने पुलिस महानिदेशक और गृह सचिव को निर्देश दिए थे कि ये प्रमोशन अब विभागीय परीक्षा की जगह अन्य सरकारी विभागों की तरह डीपीसी के जरिए ही होने चाहिए। उन्होंने डीपीसी से प्रमोशन का ड्राफ्ट तैयार कर पेश करने को कहा था। रिमाइंडर भी भेजे पर नतीजा सिफर रहा। यह भी यही है कि नागौर के कई पुलिसकर्मियों को बीस-बीस साल से प्रमोशन नहीं मिला।
इनका कहना है
काफी पद खाली हैं, इस संबंध में सरकार अथवा अदालती आदेश मिलने पर ही कुछ संभव है। राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण जयपुर के आदेश पर सरकार क्या निर्णय लेती है, उसी पर निर्भर करता है प्रमोशन का मामला।
-अभिजीत सिंह, एसपी नागौर

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