पंचकार्तिक महास्नान पूजा
सुबह स्नान करने के बाद राधा-कृष्ण का तुलसी, पीपल, आवले आदि से पूजन करना चाहिए। सभी देवताओं की परिक्रमा करने का महत्व माना गया है। सायंकाल में भगवान विष्णु की पूजा तथ तुलसी की पूजा करें। संध्या समय में दीपदान भी करना चाहिए। माना जाता है कि कार्तिक माह में सूर्य तथा चन्द्रमा की किरणों का प्रभाव मनुष्य पर अनुकूल प़ता है। यह किरणें मनुष्य के मन तथा मस्तिष्कको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है। कार्तिक माह में राधा-कृष्ण, विष्णु भगवान तथा तुलसी पूजा का अत्यंत महत्व है। जो मनुष्य इस माह में इनकी पूजा करता है, उसे पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
जरूरतमंद को देना चाहिए दान
कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान किए नहीं रहना चाहिए। तथा अपनी क्षमतानुसार जरूरतमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए। कार्तिक माह में देवयानी, पुष्कर, कुरूक्षेत्र तथा वाराणसी तीर्थ स्थानों में दिन स्नान एवं दान के लिए अति महत्वपूर्ण माना गया है। सरोवर में विद्यमान रहते देवी-देवता- माना जाता है कि इन पांच दिनों में सभी तीर्थ और सरोवरों में तैंतीस करोड़ देवी-देवता अंतरिक्ष में विद्यमान रहते है। शास्त्रों में कहा गया है कि इन पांच दिनों के दौरान पुष्कर स्थित ब्रम्हा सरोवर में स्नान करने मात्र से मनुष्य को न केवल पापों से छुटकारा मिलता है, बल्कि अक्षय फल कर प्राप्ति होती है। पांच दिनों तक चलने वाले महास्नान को पंच भीष्म स्नान भी कहते हैं।