-22 साल पहले एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नहीं बदली जा सकती है इसकी प्रकृति
नागौर•Nov 30, 2023 / 09:21 pm•
Sharad Shukla
Nagaur. dirt lying in pratapsagar
-सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद भी प्रतापसागर तालाब की सुध नहीं ले रहा प्रशासन
-अभियान….
नागौर. शहर के प्रतापसागर तालाब में एक या दो साल से नहीं, बल्कि पिछले कई सालों से इसमें कचरा डालने का काम किया जा रहा है। इसके चारो कोने में डाले गए कचरा के कारण तालाब का दायरा भी काफी सिमटा है। बताते हैं कि पहले इस तालाब में एक बार में अच्छी बरसात होने पर पूरा भर जाता था। अब ऐसा नहीं रहा। हालांकि कुछ अर्सा पूर्व इस तालाब की चारदीवारी जरूर बनाई गई, लेकिन तब तक कचरा डालो पर तालाब को सुखाओ चलो अभियान में इसके काफी हिस्से को पाटा जा चुका था। तालाब से सटे पार्क में टहलने आए बुजुर्ग रामकुमार ने बताया कि तालाब के साथ सागर शब्द इसी लिए जुड़ा था, क्यों कि यह तालाब पहले काफी लंबा और चौड़ा हुआ करता था। इसके किनारे वह लोग अपने दोस्तों के साथ न केवल खेलने आते थे, बल्कि अपनी प्यास भी इसके पानी से बुझाते थे। अब तालाब को गंदे नाले के रूप में बदला देख काफी तकलीफ होती है। साथ में रहे गिरधारी ने इसकी पुष्टी करते हुए कहा कि कभी यह तालाब दूर से ही दिख जाता था। अब तो ऐसा नहीं रहा। इसका पानी इतना ज्यादा साफ हुआ करता था कि नीचे तली तक नजर आती रहती थी। अब तो इसमें गंदा पानी ही नहीं डाला जा रहा है, बल्कि इसके चारो ओर कचरा डालकर इसको पाटने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि तालाब का वजूद ही खत्म हो जाए। गुरुवार को भी प्रतापसागर तालाब पहुंचा तो यहां तीसरी सीढ़ी से लेकर नीचे तक कचरा का भण्डार नजर आया। सीढिय़ों के अगल-बगल में भी काफी मात्रा में एकत्रित कचरा सड़ांध मारता रहा। पानी के नजदीक जाने पर दुर्गन्ध आ रही थी। सोनी की बाड़ी एवं नया हनुमान दरवाजा मंदिर के रास्ते आने के दौरान तालाब के किनारों एवं इसके पानी में उतराती गंदगी जिम्मेदारों की कलई खोलती रही। यहां से आगे सलेऊ रोड की ओर आगे बढऩे पर पार्क की चारदीवारी सटे तालाब की सूखी जमीन के काफी हिस्से पर कई जगह डाल गया कचरा नजर आ रहा था।
सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश भी हुए दरकिनार
पूर्व में 25 जुलाई 2001 को पारित हुए आदेश में कोर्ट ने जंगल, तालाब, पोखर, पठार तथा पहाड आदि को समाज के लिए बहुमूल्य मानते हुए इनके अनुरक्षण को पर्यावरणीय संतुलन हेतु जरूरी बताया है। निर्देश है कि तालाबों को ध्यान देकर तालाब के रूप में ही बनाये रखना चाहिए। उनका विकास एवम् सुन्दरीकरण किया जाना चाहिए, जिससे जनता उसका उपयोग कर सके।
तालाब की वजूद से नहीं हो सकती छेड़छाड़, फिर भी हो रही
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तालाब की प्रकृति को बिलकुल परिवर्तित नहीं किया जा सकता है, लेकिन यहां पर तो कचरा आदि डालकर इस पूरे तालाब का ढांचा ही बदलने का काम किया जा रहा है। इसके चलते तालाब का दायरा सिमटने के साथ ही अब न केवल पहले से काफी छोटे आकार में यह तब्दील हो गया है, बल्कि इसका वजूद भी अब तालाब की जगह नाला में काफी हद तक बदल गया है। जिम्मेदारों की ओर से इस संबंध में जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो यह पूरा तालाब ही समाप्त हो जाएगा।
इनका कहना है…
तालाब में कचरा नहीं फेका जा रहा है। कचरा परिषद की ओर से निर्धारित स्थल पर ही डाला जाता है। ऐसी कोई स्थिति है तो इसे देखवा लिया जाएगा।
देवीलाल बोचल्या, आयुक्त नगरपरिषद नागौर
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