भामाशाह योजना के तहत नागौर जिले के 38 निजी अस्पताल जुड़े हुए थे, जिनमें पात्र मरीजों का नि:शुल्क उपचार होता था। वसुंधरा सरकार के समय बीमा कम्पनी द्वारा समय-समय पर भुगतान किया जा रहा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद भुगतान रोक दिया गया। करीब साल तक चले घटनाक्रम के बाद 13 दिसम्बर 2019 बीमा कम्पनी का सरकार के साथ किया गया एमओयू समाप्त हो गया। उसके बाद से निजी अस्पतालों का भुगतान अटका हुआ है। हालांकि सरकार भुगतान करने की बात कह रही है, लेकिन अस्पताल संचालकों का कहना है कि एक साल से अधिक समय हो गया, अब तक एक पैसा भी नहीं मिला है। जिले भर के अस्पतालों का बकाया करोड़ों में है। यही स्थिति पूरे प्रदेश की है।
जिले में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत उपचार नहीं किया जा रहा है, जबकि जयपुर के निजी अस्पताल में नि:शुल्क उपचार किया जा रहा है। मेरी भाभी के डायलिसिस होती है, जो हमें जयपुर करानी पड़ती है। यदि जिले में नि:शुल्क हो जाए तो हमें परेशानी से काफी राहत मिल सकती है।
– वसीम, मरीज के परिजन, कुचामन सिटी
क्लेम अटका दिया, उपचार कैसे करें
भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में निजी अस्पतालों के करोड़ों रुपए बीमा कम्पनी ने अटका दिए, जिसको लेकर एसोसिएशन ने कई बार सरकार को लिखा, लेकिन एक साल से अधिक समय होने के बावजूद भुगतान नहीं हुआ। एक तो मार्जिन ही कम कर दिया और ऊपर से भुगतान भी नहीं कर रहे, ऐसे में नि:शुल्क उपचार कैसे करें। यही कारण है कि प्रदेश में अधिकतर निजी अस्पताल संचालकों ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना में नि:शुल्क उपचार करना बंद कर दिया।
– डॉ. रणवीर चौधरी, सचिव, आईएमए, नागौर
भामाशाह योजना के स्थान पर सरकार ने आयुष्मान भारत – महात्मा गांधी राष्ट्रीय राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना चलाई है, जिसमें जिले से अब तक मात्र छह निजी अस्पताल संचालकों ने ही रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। जिनमें से पांच का निरीक्षण कर फाइल जयपुर मुख्यालय भेजी है। नई योजना में जयपुर स्तर पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। जहां तक बकाया भुगतान की बात है तो सरकार द्वारा धीरे-धीरे भुगतान किया जा रहा है। साथ ही निजी अस्पताल संचालकों की यूनियन की मांगों पर भी निर्णय होना है।
– डॉ. शीशराम चौधरी, नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत – महात्मा गांधी राष्ट्रीय राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना (भामाशाह योजना), नागौर