नागौरPublished: Nov 02, 2023 10:04:59 pm
Sharad Shukla
चार एवं पांच नवंबर को रहेगा पुष्य नक्षत्र, धनतेरस से पहले बन रहा बाजार में धन वर्षा का बना योग
-सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान अन्य उपयोगी वस्तुएं खरीदना और बड़े निवेश करना, जमीनों की खरीद-फरोख्त मानी जाती है शुभ
नागौर. धनतेरस पहले ही धन वर्षा का बाजार में योग बना है। धनतेरस से एक सप्ताह पहले ही यानि की चार नवंबर को पुष्य नक्षत्र का योग पड़ रहा है। इस दिन विवाह को छोडकऱ अन्य सारे कार्य किए जा सकते हैं। इस दिन माना जाता है कि सोना एवं चादी आदि से निर्मित वस्तुओं के खरीदने से शुभता कई गुना बढ़ जाती है। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि इस बार चार नवंबर से पांच नवंबर की सुबह तक पुष्य नक्षत्र रहेगा। दीपावली से पहले पुष्य नक्षत्र का पडऩा बेहद शुभ माना जा रहा है। खास बात यह है कि इस बार इस नक्षत्र के रविवार को सूर्योदय के बाद तक विद्यमान होने से इसकी शुभता में और वृद्धि हो रही है। 4 नवंबर शनिवार को पुष्य नक्षत्र सुबह 7 बजकर 57 मिनट से प्रारंभ हो रहा है। इसके साथ ही सप्तमी तिथि को शनिवार पुष्य नक्षत्र का आना अत्यंत दुर्लभ योग माना गया है, क्योंकि पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव हैं। शनिवार को सप्तमी तिथि का योग अत्यंत ही शुभ फलदाई बताया गया है। रविवार को भी पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा यही नहीं, बल्कि इस दिन शुभ तथा शुक्ल योग और श्रीवत्स नामक शुभ योग भी इस दिन के महत्व को और भी अधिक बढ़ा देते हैं सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन रहेगा। ज्योतिष के अनुसार 4 नवंबर को पुष्य नक्षत्र के साथ शंख, लक्ष्मी, शश, हर्ष, सरल, साध्य, बुधादित्य योग, पराक्रमी योग व साध्य योग, मित्र और गजकेसरी योग रहेंगे। इन शुभ योगों के साथ ही पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि अपनी ही राशि में रहेगा। इसी तरह 5 नवंबर को पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थसिद्धि, शुभ, सर्वार्थ सिद्धि योग, पराक्रमी योग, बुधादित्य योग, श्रीवत्स, अमला, वाशि, सरल और गजकेसरी योग बनेंगे।
क्या होता है पुष्य नक्षत्र
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का वर्णन किया गया है और इनमें से पुष्य नक्षत्र आठवां नक्षत्र होता है। यह नक्षत्र बेहद ही शुभ और उत्तम फल देने वाला माना गया है। इस नक्षत्र को सबसे श्रेष्ठ और नक्षत्रों का राजा माना गया है। पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य के नाम से भी जाना जाता है। तिष्य यानी शुभ मांगलिक वाला नक्षत्र और अमरेज्य यानी देवताओं के द्वारा पूजे जाना वाला नक्षत्र। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनिदेव हैं।
बेहद शुभ होता है पुष्य नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है, इसलिए इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करती है। इस नक्षत्र पर बृहस्पति, शनि और चंद्र का प्रभाव होने के कारण इसमें सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान अन्य उपयोगी वस्तुएं खरीदना और बड़े निवेश करना अत्यंत शुभ माने जाते हैं। यह नक्षत्र इतना शुभ है कि इसमें शादी-विवाह को छोडकऱ बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। खरीदारी, निवेश और बड़े व्यापारिक लेन-देन के लिए इस नक्षत्र को शुभ माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र में खरीदारी का महत्व
पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है, इसलिए इस नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक शुभ फल प्रदान करती है। इस नक्षत्र पर बृहस्पति, शनि और चंद्र का प्रभाव होने के कारण इसमें सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान अन्य उपयोगी वस्तुएं खरीदना और बड़े निवेश करना अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
इन कार्यों के लिए भी शुभ होता है पुष्य नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र में आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना, मंत्र दीक्षा, उच्च शिक्षा ग्रहण करना, भूमि की खरीद एवं बेचान, यज्ञ अनुष्ठान और वेद पाठ आरंभ करना, पुस्तक दान या विद्या दान करना और विदेश यात्रा आरंभ करना श्रेष्ठ माना गया है।
पुष्य नक्षत्र में नहीं करने चाहिए ये कार्य
पुष्य नक्षत्र में इस नक्षत्र में सुई या कोई धारदार वस्तुएं नहीं खरीदनी चाहिए। मान्यता अनुसार इस नक्षत्र में पुरानी वस्तुएं भी नहीं लेनी चाहिए। काले कपड़े से पूरी तरह से दूरी बनाकर रखी जानी चाहिए। इसके अलावा कोई चमड़े की वस्तु नहीं खरीदना चाहिए, और न ही किसी प्रकार लेना चाहिए।