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बारिश ने फिर अन्नदाताओं पर गिराई गाज, पहले तो बारिश नहीं हुई, और अब असमय होने से फसलों की बिगड़ी हालत

locationनागौरPublished: Oct 02, 2018 05:29:01 pm

Submitted by:

rohit sharma

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नागौर।

खेतों में फसल तो खड़ी है, लेकिन मुरझाई हई, बची हुई उपज को काटा तो कइयों की ढेरियां पानी की वजह से खराब हो गई। नुकसान काफी हो गया, मगर न तो सर्वे हुआ, और न ही अधिकारियों ने झांका। यह हालात हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों के। स्थिति है है कि जिले के परबतसर, कुचामन, रियांबड़ी, डेगाना, जायल आदि क्षेत्रों में बिन मौसम की बारिश व यथासमय बारिश नहीं होने ने फसलों का पूरा भूगौल ही बिगड़ गया है।
खेतों में कटे रखे बाजरा, मूंग ज्वार एवं मोठ आदि की ढेरियां बरसात ने निगल ली। पानी के कारण खराब हो गई। यही नहीं कई जहों पर ढेरियां पर पानी पड़ा तो वह अंकुरित हो गए, कई जगहों पर बारिश नहीं होने से पौध ही छोटी रह गई। समर्थन मूल्य की दरों में मूंग में सर्वाधिक राशि बढऩे के बाद उत्साहित किसानों ने जिले के तीन लाख 99 हजार 780 हेक्टेयर के एरिया में बुवाई कर डाली। अब बरसात नहीं होने से मूंग, मोठ, मूंगफली, ज्वार, चौला एवं हरी सब्जियों का उत्पादन अप्रत्याशित रूप से ज्यादा प्रभावित हुआ है।
मूंग के बाद करीब तीन लाख 39 हजार 478 हेक्टेयर के एरिया में लहलहा रहे बाजरे की चमक भी कम हो गई है। फसलों की स्थिति यह है कि दाने तो आए हैं, लेकिन पानी नहीं मिलने के कारण उनके अंदर न तो अच्छी चमक है, और न ही गुणवत्ता अपेक्षा के अनुरूप है।
अमरपुरा के किसानों का कहना है कि हमारी मेहनत पर पानी फिर गया। कटी हुई ढेरियां पानी की चपेट में आने के कारण खराब हो गई। इनके दानों की गुणवत्ता एवं रंग पर भी असर पड़ा है। अब तो मंडी में भी इनके समुचित दाम नहीं मिल पाएंगे।
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