आयोग की ओर से ईवीएम मशीन के साथ वीवीपैट के इस्तेमाल से पहली बार मतदाताओं की ओर से डाला गया वोट उन्हें नजर भी आया। वीवीपैट के इस्तेमाल से प्रति व्यक्ति मताधिकार के औसत समय में सात सैकेण्ड का अधिक समय लगा। महिलाओं को मतदान केन्द्रों की जिम्मदारी दी। युवा मतदाताओं को पहली बार मतदान के लिए जोड़ाा। दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध करवाई गई। पहली बार मतदान के लिए आदर्श मतदान केन्द्र स्थापित किए। इतना कुछ करने क बाद भी आयोग मतदान बढ़ाने की कोशिश में कामयाब नहीं हो पाया।
निर्वाचन आयोग के अलावा राजनीतिक पार्टियों के समर्थकों व उम्मीदवारों ने भी मतदाताओं को बूथ तक लाने के लिए कोशिश की लेकिन वे मतदाताओं को बूथ तक लाने में सफल नहीं हो सके। मतदाताओं राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आनंद कुमार ने भी जयपुर में मीडिया से कहा कि मतदान के दिन कई मतदान केन्द्रों से मतदान धीरे चलने की जानकारी मिलने के बाद जरूरी होने पर मशीनों को भी बदला गया। जिस तरह से मतदान का प्रतिशत बढ़ाने का प्रचार किया गया था, उस हिसाब से काफी कम मतदान हुआ है और इसका हमें मलाल रहेगा।
जिले की दस विधानसभा सीटों में से छह सीटों पर मतदान प्रतिशत गत चुनाव के आंकड़े को भी नहीं छू पाया। हालांकि जायल, नागौर, मकराना व मेड़ता सीटों पर मतदान में मामूली बढोतरी दर्ज की गई। नागौर विधानसभा क्षेत्र के बू कर्मसोता गांव में मतदाताओं के मतदान का बहिष्कार करने के चलते मतदान प्रतिशत जीरो रहा। कामकाज के सिलसिले में बाहर रहने वाले लोगों का इस चुनाव में रुचि नहीं लेना भी मतदान कम होने का एक कारण रहा। हालांकि जिले में युवाओं व नव मतदाताओं में मतदान को लेकर उत्साह नजर आया।
नागौर जिले की सीटों पर मतदान प्रतिशत
सीट 2013 2018
लाडनूं 71.61 69.83
डीडवाना 75.06 71.44
जायल 69.11 69.31
नागौर 72.05 72.11
खींवसर 77.09 75.26
मेड़ता 67.04 70.87
डेगाना 73.94 72.35
मकराना 77.03 77.59
परबतसर 77.81 77.38
नावां 75.07 72.90
कुल 73.51 72.88