बेनीवाल-मिर्धा के लिए वर्चस्व की लड़ाई
जनता बेनीवाल को मौका देती है तो समझा जाता है कि प्रदेश की सियासत में उनका कद बढ़ जाएगा। देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. ज्योति अपनी राजनीतिक विरासत को बचा पाती है या बेनीवाल दिल्ली पहुंचते हैं। गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी ने इस बार राजस्थान में 24 सीटों पर प्रत्याशी उतारे जबकि नागौर की सीट पर रालोपा संयोजक व खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल के लिए छोड़ दी थी। यहां से बेनीवाल की जीत से न केवल वे केन्द्र की राजनीति में पहुंच जाएंगे बल्कि भाजपा में भी उनका राजनीतिक कद बढ़ेगा। बेनीवाल के लिए यह चुनाव किसी संजीवनी से कम नहीं है, ये चुनाव परिणाम बेनीवाल का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा।
डॉ. ज्योति मिर्धा के लिए भी इस बार का संघर्ष कमतर नहीं
उधर, कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. ज्योति मिर्धा Dr Jyoti Mirdha के लिए भी इस बार का संघर्ष कमतर नहीं आंका जा सकता। ज्योति मिर्धा जिले के कांग्रेस नेताओं के तमाम विरोधों के बावजूद आलाकमान तक अपने राजनीतिक सम्पर्क के बल पर टिकट लाने में सफल रही थी। गत लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में होने का फायदा भाजपा को मिला व ज्योति मिर्धा का दुबारा दिल्ली जाने का सपना पूरा नहीं हो पाया। कांग्रेस का गढ रही नागौर सीट पर मिर्धा परिवार का दबदबा रहा है। लम्बे समय तक नाथूराम मिर्धा व रामनिवास मिर्धा ने इस सीट से प्रतिनिधित्व किया। इस बार कांग्रेस को घेरने व अपनी सीट को बचाने के लिए भाजपा ने बेनीवाल को एनडीए प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतार दिया।