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इस वजह से राजस्थान पुलिस नहीं कर पाती अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई

locationनागौरPublished: Aug 12, 2019 11:47:27 am

Submitted by:

Dharmendra gaur

राजस्थान में पुलिस महकमा आधी-अधूरी फौज के सहारे अपराधियों से दो-दो हाथ कर रहा है। विभाग में कार्मिकों की कमी से जहां अपराधिकयों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती वहीं कांस्टेबल से लेकर एसपी तक काम के बोझ तले दबे काम करने को मजबूर है।

Rajasthan Police unable to take Action on criminals as post vacant

इस वजह से राजस्थान पुलिस नहीं कर पाती अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई

Rajasthan Police News : राजस्थान में पुलिस की आधी अधूरी ‘फौज’ से अपराधियों की ‘मौज’, राज्य के 887 थानों में स्वीकृत है 43179 पद जबकि खाकी के 25 फीसदी पद खाली, नफरी के अभाव में पुलिस पर काम का बोझ, नागौर के 32 थानों में 370 पद हैं रिक्त
पत्रिका एक्सक्लुसिव
धर्मेन्द्र गौड़ @ नागौर. प्रदेश में पुलिस महकमा आधी-अधूरी फौज के सहारे अपराधियों से दो-दो हाथ कर रहा है। विभाग में कार्मिकों की कमी से जहां अपराधिकयों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती वहीं कांस्टेबल से लेकर एसपी तक काम के बोझ तले दबे काम करने को मजबूर है। विभाग का अपराधियों में भय व आमजन में विश्वास का ध्येय वाक्य भी पूरा होता नजर नहीं आता है। nagaur police news नफरी के अभाव में बीट क्षेत्र में होने वाली किसी भी प्रकार की घटनाओं की मॉनीटरिंग नहीं हो पाती वहीं रिक्त पदों का भार थाने या अन्य कार्यालय में पद स्थापित स्टॉफ पर पड़ता है जिसका सीधा उनकी कार्य शैली पर भी पड़ता है। कहने को तो प्रदेश के 887 थानों में 43 हजार 179 पद सृजित है लेकिन इनमें 11 हजार 92 यानी 25 फीसदी पद रिक्त हैं।


सदैव ड्यूटी पर पुलिसकर्मी
पुलिस के जवान भी दबी जुबां कहते हैं कि विभागीय नियमों के अनुसार राजस्थान पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 33 Rajasthan Police News के अनुसार पुलिस अधिकारी सदैव ड्यूटी पर माने जाते है। जिसका मतलब है कि पुलिस कर्मी की ड्यूटी की आवश्यकता होने पर कभी भी बुलाकर ड्यूटी पर तैनात किया जा सकता है। ऐसे में वे पारिवारिक व सामजिक दायित्वों के लिए भी समय नहीं देे पाते। विभाग में नफरी की कमी के कारण स्टॉफ पर काम का दबाव रहता है जिसके कारण वे मानसिक अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं। इतना ही नहीं नफरी की कमी के कारण आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी भी नहीं रखी जा सकती। प्रदेश की राजधानी के जयपुर उत्तर थाने में 470, जयपुर दक्षिण में 296, जयपुर पूर्व में 237,जयपुर पश्चिम में 225, जयपुर ग्रामीण में 214 पद रिक्त है।


पदों को लेकर जिलों की स्थिति Nagaur Crime News
इसी प्रकार अजमेर जिले के थानों में 517, भीलवाड़ा में 277, नागौर में 370, टोंक में 342, झूंझूनु में 198, सीकर में 269,दौसा में 145,अलवर में 480,बीकानेर में 339,चूरू में 139, गंगानगर में 278, हनुमानगढ़ में 200,भरतपुर में 374,सवाई माधोपुर में 223, धौलपुर में 194, करौली में 219, जोधपुर पूर्व में 205, जोधपुर पश्चिम में 240, ग्रामीण में 192, जालौर में 123, जैसलमेर में 179,बाड़मेर में 265,पाली में 244, सिरोही में 173, कोटा शहर में 184, ग्रामीण में 238,बूंदी में 256, झालावाड़ में 401, बारां में 274, उदयपुर में 632,बांसवाड़ा में 396, चित्तौडगढ़ में 350, डूंगरपुर में 139, राजसमंद में 202,प्रतापगढ़ में 208, जीआरपी अजमेर में 137 व जोधपुर जीआरपी में 48 पद रिक्त है।


स्टॉफ पर रहता काम का दबाव
गृह मंत्रालय से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार शहरी थानों में 60, ग्रामीण में 45 व महिला थाने में 30 कार्मिकों की नफरी आवश्यक रूप से होनी चाहिए लेकिन प्रदेश के अधिकांश थानों में स्टॉफ की कमी है। कई बार देखने में आता है कि कार्मिकों को जांच के सिलसिले में जिले या प्रदेश से बाहर जाना पड़ता है तो कुछ रोजमर्रा की घटनाओं के सिलसिले में मौका मुआयना करने जाते हैं तो कभी कभार वीआईपी मुवमेंट के कारण थाना सूना हो जाता है। गैंगवार, हत्या, लूट, चोरी, डकैती की वारदातों के साथ महिला अत्याचार, बाल उत्पीडऩ, साइबर क्राइम, बाल श्रम के मामलों में भी वृद्धि होने से पुलिस का काम दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। Nagaur Ne

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