scriptधनिष्ठा नक्षत्र के साथ गजकेसरी व शोभन योग में मनाएंगे रक्षाबंधन | Rakshabandhan will be celebrated in Gajakesari and Shobhan Yoga with Dhanishta Nakshatra | Patrika News

धनिष्ठा नक्षत्र के साथ गजकेसरी व शोभन योग में मनाएंगे रक्षाबंधन

locationनागौरPublished: Aug 21, 2021 09:53:24 pm

Submitted by:

Sharad Shukla

Nagaur. रक्षाबंधन के दिन देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की युति रहेगी। इस युति से गजकेसरी व शोभन योग में कलाई पर बंधेगी राखी

Rakshabandhan will be celebrated in Gajakesari and Shobhan Yoga with Dhanishta Nakshatra

Nagaur. There is competition in the shops in the markets to buy Rakhi on Rakshabandhan

नागौर. इस बार रक्षाबंधन गजकेसरी व शोभन योग में मनाया जाएगा। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे और देवगुरु बृहस्पति इस समय कुंभ राशि में ही विराजमान हैं। इस बार रक्षाबंधन के दिन देवगुरु बृहस्पति और चंद्रमा की युति रहेगी। इस युति से गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। गज केसरी योग कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ रहता है। इसके साथ ही शोभन योग तथा धनिष्ठा नक्षत्र का भी शुभ संयोग बन रहा है इस दिन पंचक सुबह 7 बजकर 56 से लग रहा हैं, लेकिन रक्षाबंधन पर्व के लिए पंचक शुभ माने जाते हैं। इसलिए इसमें पंचक का इसमें निषेध नहीं रहता है। रविवार और घनिष्ठा नक्षत्र का योग होने से मातंग नामक आनंदआदि योग बनने से इस बार का रक्षाबंधन बेहद खास व शुभ बन गया है। पंडित सुनील दाधीच ने बताया कि इस वर्ष पूर्णिमा की तिथि पंचांग के अनुसार 21 अगस्त को शाम 07 बजे से आरंभ होगी,। जो 22 अगस्त की शाम पांच बजकर 31 मिनट तक रहेगी। सुबह सात बजकर 48 मिनट से े दोपहर 12 बजकर 38 तक चार लाभ तथा अमृत का चौघडिय़ा रहेगा। दोपहर में 12 बज कर 15 मिनट से एक बजकर चार तक अभिजीत नामक मुहूर्त रहेगा। रक्षाबंधन का विशेष शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 51 मिनट से 10बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
राहु काल में न मनाएं रक्षा बंधन
राहु काल को अशुभ योग माना गया है. शुभ और मांगलिक कार्य राहु काल में नहीं किए जाते हंै. इसलिए इस दिन राहु काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। पंचांग के अनुसार रक्षा बंधन पर राहु काल का समय 22 अगस्त, को शाम पांच बजकर 28 मिनट से लेकर शाम सात बजकर पांच मिनट तक रहेगा। इसलिए राहु काल में रक्षाबंधन निषेध माना गया है। इसलिए 5 बजकर 28 से पहले तक ही रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस बार खास बात ये है कि इस वर्ष रक्षा बंधन पर भद्रा काल की छाया नहीं है। पंचांग के अनुसार भद्रा काल 21अगस्त शनिवार को शाम सात बजे से रविवार सुबह 6 बजकर 16 पर ही समाप्त हो जाएगी। एक मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। भद्रा भी शनिदेव की तरह उग्र स्वभाव की हैं। भद्रा को ब्रह्रााजी का शाप है कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह के कार्य को सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में करने का विधान है। भद्रारहित शुभ समय में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है। राखी बांधने के दौरान परंपरानुसार बहन को इस मंत्र येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल। तेन त्वामनुबध्नाभि रक्षे मा चल मा चल।मंत्रोच्चारण के साथ बांधना चाहिए।
राशि के अनुसार भी बांध सकते हैं राखी
मेष राशि के जातकों को लाल रंग, वृष राशि को सफेद रंग,मिथुन राशि कों हरे रंग,कर्क राशि को सफ़ेद अथवा पीले रंग, सिंह राशि को लाल या पीले रंग, कन्या राशि को हरे रंग की राख, तुला राशि को नीले या सफेद रंग, वृश्चिक राशि को लाल या गुलाबी रंग, धनु राशि को सुनहरे या पीले रंग की राखी, मकर राशि को गहरे नीले रंग तथा कुंभ राशिको भी नीले रंग की राखी बांधना शुभ माना जाता है।

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