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अवैध शराब के बढ़ते कारोबार से मुश्किल में ‘जिम्मेदार’

locationनागौरPublished: Aug 17, 2022 10:03:36 pm

Submitted by:

Sandeep Pandey

-पचास रुपए की एक लीटर स्प्रिट में पौने दो लीटर पानी, करीब सोलह पव्वे तैयार जो सस्ते में ले रहे हैं खरीदार, सरकारी ठेकेदार कर रहे हैं आबकारी विभाग से गुहार, नकली पव्वे/ढक्कन/रेपर ही नहीं शराब तक मिली पर नहीं मिल रहे बड़े माफिया, रोजाना करीब एक हजार लीटर अवैध देसी शराब की हो रही सप्लाई, जोधपुर-फलौदी तक पहुंच रही शराब, पांचौड़ी थाना इलाका टॉप पर

अवैध शराब

अवैध देसी शराब की हो रही सप्लाई, जोधपुर-फलौदी तक पहुंच रही शराब, पांचौड़ी थाना इलाका टॉप पर



एक्सपोज

संदीप पाण्डेय

नागौर. एक लीटर स्प्रिट से पौने तीन लीटर देसी शराब यानी सोलह पव्वे बनाए जा रहे हैं। इस अवैध शराब के कारोबारियों ने सरकार को करोड़ों की कमाई देने वाले ठेकेदारों की नींद उड़ा दी है। पांचौड़ी समेत आधा दर्जन थाना इलाकों में धड़ल्ले से चल रहे इस धंधे की रोकथाम की सारी कवायद फेल हो रही है। अवैध शराब बनाई कहीं जा रही है तो बिक कहीं और रही है। आबकारी विभाग को मिल रही शिकायतों में हूबहू नकली पव्वे और ढक्कन तो मिल रहे हैं, लेकिन न इसको बनाने वाले मिल रहे न ही इसकी सप्लाई करने वाले। आबकारी विभाग इनकी तलाश में जुटा हुआ है। एक अनुमान के मुताबिक महीने में औसतन करीब ३० हजार लीटर अवैध देसी शराब का धंधा हो रहा है। इससे साफ है कि सरकारी लाइसेंस वाले ठेकेदारों को लाखों की चपत लग रही है।
सूत्रों के अनुसार पांचौड़ी थाना इलाके में अवैध शराब बनाने का कारोबार टॉप पर बताया जा रहा है। यहां से अवैध शराब फलौदी, जोधपुर व आसपास के इलाके में सप्लाई हो रही है। आबकारी विभाग की निगाह में इस समय पांचौड़ी ही किरकिरी बना हुआ है। शिकायतों पर कई बार दबिश भी दी, लेकिन कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी। करीब ढाई महीने पहले पांचौड़ी थाना इलाके के ग्राम पोटलिया मांजरा में अवैध देसी शराब बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ था। फैक्ट्री से अवैध शराब बनाने की सामग्री सहित दो पैकिंग मशीन, पचास लीटर स्प्रिट, 1.30 लाख की प्लास्टिक के खाली पव्वे, 30 हजार ढक्कन, 5 हजार स्टीकर तथा एक अवैध टोपीदार बंदूक बरामद हुई थी। इसके साथ दूसरी कार्रवाई में अवैध देसी शराब के आठ हजार 64 पव्वे बरामद किए गए थे। फैक्ट्री संचालक गजेंद्र उर्फ गणपतराम और उसकी पत्नी मंजू प्रजापत तो खैर पकड़े गए, लेकिन शराब बनाने वालों से लेकर सप्लाई तक के इस पूरे गोरखधंधे में लिप्त किसी अन्य का कोई सुराग अब तक हाथ नहीं लग पाया।
सस्ती अवैध शराब से घाटे में ठेेकेदार

सूत्र बताते हैं कि पांचौड़ी के अलावा परबतसर,नावां, डेगाना, गच्छीपुरा में इस अवैध देसी शराब की खेप ज्यादा तैयार हो रही है। आबकारी विभाग को पिछले दिनों से इस तरह की शिकायत करने वाले भी ठेकेदार हैं, वो इसलिए भी कि जब सस्ती अवैध शराब शौकीनों को उपलब्ध होगी तो उनकी दुकान को तो घाटा होना ही है। वो अपना टारगेट कैसे पूरा कर पाएंगे। इस बाबत कई नकली पव्वे/ढक्कन समेत अन्य सबूत भी सौंपे गए। उस पर जांच भी हुई, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया। इन शिकायतों से यह तो जाहिर हो रहा है कि अवैध देसी शराब के कारोबार ने ठेकेदारों को मुश्किल में डाल रखा है, वहीं इस माफिया पर कार्रवाई नहीं होने पर जिम्मेदार भी शंका से घिरने लगे हैं।
पंजाब-हरियाणा से आ रही स्प्रिट, पानी मिलाओ और पव्वे तैयार
सूत्रों की मानें तो हाई-वे के होटल-ढाबों से लेकर अवैध शराब बनाने वालों को मिलने वाली स्प्रिट हरियाणा और पंजाब से आ रही है। छोटे कारोबारी कुछ होटल-ढाबों से ले रहे हैं तो बड़े टैँकर ही मंगा रहे हैं। एक लीटर स्प्रिट करीब पचास रुपए के आसपास पड़ रही है, इसकी सांद्रता/तेजी के हिसाब से पानी मिलाने के बाद करीब पौने तीन लीटर देसी शराब बन जाती है। करीब सोलह पव्वे 35-40 रुपए में बेच देते हैं जो सरकारी दुकान पर साठ रुपए में मिलता है। सस्ती शराब के शौकीन असल ठेकेदारों को चपत लगा रहे हैं। और तो और हूबहू पव्वे/ढक्कन/स्टीकर से भी यह तो साफ हो गया कि छोटे-मोटे धंधेबाजों के बस का काम नहीं है।
एफआईआर दर्ज कराना ही भूल गए
असल में हो यह रहा है कि नकली पव्वे/ढक्कन/लेबल मिल तो रहे हैं, पर यह कॉपी राइट एक्ट के उल्लंघन के तहत आता है। कार्रवाई का अधिकार पुलिस के पास है, लेकिन इसके लिए संबंधित कंपनी/जिम्मेदार एफआईआर तो दर्ज कराए। पचड़े में फंसने के डर से अब हालत यह है कि एफआईआर ही कोई दर्ज नहीं करवा रहे।
हर महीने दस दिन करते हैं चैक
बताया जाता है कि आबकारी मुख्यालय हर महीने दस दिन तक स्प्रिट समेत अवैध शराब को लेकर सघन अभियान चलाने के निर्देश देता है। पिछले कुछ दिनों से कहीं बनी बनाई अवैध शराब मिली तो कहीं खाली नकली पव्वे और ढक्कन। चप्पे-चप्पे पर निगाह जमाने के बाद भी अवैध शराब के कारोबारी पकड़ में नहीं आ पा रहे। और तो और छोटे-मोटे जो पकड़ में आए, उनके मुखिया तक हाथ नहीं आ रहे। यह जरूर है कि अवैध शराब बनाने से लेकर बेचने तक की इस जुगलबंदी ने आबकारी विभाग के साथ पुलिस को भी संकट में डाल रखा है।
इनका कहना
कई शराब के ठेकेदारों की शिकायत है कि अवैध देसी शराब की वजह से उनको नुकसान उठाना पड़ रहा है। कई जगह नकली पव्वे/ढक्कन भी मिले, क्लीयर अभी कुछ नहीं हो रहा है। पांचौड़ी समेत कुछ इलाकों में यह काला कारोबार जमकर हो रहा है। हमारी टीमें इन शिकायतों पर तलाशी में जुटी है। अवैध देसी शराब जोधपुर समेत कई जगह भी सप्लाई होने की जानकारी मिली है।
-मोहनराम पूनिया, जिला आबकारी अधिकारी, नागौर।
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