राजस्थान पत्रिका को इस अभियान के लिए धन्यवाद। राजनीति को देख अब समय आ गया है कि देश के युवाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। देश को विकासशील देश बनाने के लिए उसे सामाजिक, प्रशासनिक सभी विषयों में रुचि लेना होगा। मजबूत राष्ट्र का निर्माण करने के लिए फौलादी जिगर, दृढ़ इच्छा शक्ति , पराक्रम, धैर्य, संयम की जबरदस्त मांग होती है। युवाओं को राजनीति में रुचि दिखानी होगी।
विजेन्द्र भादू, छात्रनेता
पत्रिका बदलाव के नायक के रूप में चौथे स्तम्भ की वास्तविक भूमिका निभा रहा है। वर्तमान समय में राजनीति काफी बुरी हो चुकी है। कुछ सालों में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। महिलाओं के नाम पर केवल राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है। कड़े कानून बनाए नहीं जा रहे, जो बनाए गए है उनकी खुले आम धज्जियां उड़ा रही है। राजनीति में शिक्षित महिलाओं को आगे आकर जिम्मेदारी संभालनी होगी।
प्रियंका कुरडिय़ा, छात्रा
वर्तमान में आम जनता अपनी मतदान की ताकत को समझ नहीं पा रही है। जनता का काम केवल वोट डालना ही नहीं है । हमने जिसे भी देश के विकास की जिम्मेदारियां सौंपी है उससे बात करने का हमें पूरा अधिकार है। लेकिन जो भी प्रत्याशी जीत कर वापस आता है तो उससे बात करने व मिलने के लिए हमें घंटों इंतजार करना पड़ता है। क्या हम उन्हें इसीलिए चुनकर भेजते हैं। इस बात को समझना होगा।
ओमप्रकाश सैन
पत्रिका के इस महाअभियान की जितनी तारिफ हो कम है। वर्तमान समय में राजनीति का मतलब केवल जाति विशेष के लोगों का काम निकलवाना हो गया। राजनेता अपनी जाति के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। राजनेता दूसरी जाति के लोगों से बात तक करना पसंद नहीं करते। केवल चुनावी समय में हाथ जोड़ते नजर आते हैं। ऐस लोगों को वोट नहीं दे।
मोहम्मद अली, बासनी
विजेन्द्र भादू, छात्रनेता
पत्रिका बदलाव के नायक के रूप में चौथे स्तम्भ की वास्तविक भूमिका निभा रहा है। वर्तमान समय में राजनीति काफी बुरी हो चुकी है। कुछ सालों में महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं। महिलाओं के नाम पर केवल राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है। कड़े कानून बनाए नहीं जा रहे, जो बनाए गए है उनकी खुले आम धज्जियां उड़ा रही है। राजनीति में शिक्षित महिलाओं को आगे आकर जिम्मेदारी संभालनी होगी।
प्रियंका कुरडिय़ा, छात्रा
वर्तमान में आम जनता अपनी मतदान की ताकत को समझ नहीं पा रही है। जनता का काम केवल वोट डालना ही नहीं है । हमने जिसे भी देश के विकास की जिम्मेदारियां सौंपी है उससे बात करने का हमें पूरा अधिकार है। लेकिन जो भी प्रत्याशी जीत कर वापस आता है तो उससे बात करने व मिलने के लिए हमें घंटों इंतजार करना पड़ता है। क्या हम उन्हें इसीलिए चुनकर भेजते हैं। इस बात को समझना होगा।
ओमप्रकाश सैन
पत्रिका के इस महाअभियान की जितनी तारिफ हो कम है। वर्तमान समय में राजनीति का मतलब केवल जाति विशेष के लोगों का काम निकलवाना हो गया। राजनेता अपनी जाति के लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। राजनेता दूसरी जाति के लोगों से बात तक करना पसंद नहीं करते। केवल चुनावी समय में हाथ जोड़ते नजर आते हैं। ऐस लोगों को वोट नहीं दे।
मोहम्मद अली, बासनी