विशेषज्ञों के अनुसार सडक़ हादसों के मुख्य कारण वाहनों की ओवर स्पीड, शराब पीकर वाहन चलाना, चालक का अपरिपक्व होना, ओवरटेकिंग तथा वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना है। इसके साथ सडक़ों के विकट मोड़, सडक़ पर संकेतक नहीं होना, टूटी सडक़, नियम विरुद्ध बने स्पीड ब्रेकर आदि हैं।
जिले में सडक़ हादसों की संख्या पिछले सात साल में काफी बढ़ी है। वर्ष 2011 में 528 सडक़ हादसे हुए थे। 2012 में हादसों की संख्या घटकर 488 रह गई। 2013 में और कमी हुई और 332 हादसे ही हुए, लेकिन अगले ही साल हादसों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हो गई। वर्ष 2014 में 599 सडक़ हादसे हो गए। वर्ष 2015 में 598 हादसे, वर्ष 2016 में 625, वर्ष 2017 में 668 हादसे हुए। वर्ष 2018 में मामूली कमी आई और 626 हादसे हुए, लेकिन 2019 में फिर 679 सडक़ हादसे हो गए। गत वर्ष लॉकडाउन के चलते थोड़ी कमी आई।
राज्य सरकार के निर्देशानुसार इस बार सडक़ सुरक्षा सप्ताह की जगह ‘राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा माह’ चलाया जाएगा। 18 जनवरी से 17 फरवरी तक आयोजित किए जाने वाले जागरुकता कार्यक्रम की थीम ‘सडक़ सुरक्षा-जीवन रक्षा’ रखी है। सडक़ सुरक्षा माह की शुरुआत सोमवार सुबह 11 बजे कलक्ट्रेट चौराहे से जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा ऑटो रिक्शाओं की रैली को हरी झंडी दिखाकर शुभारम्भ किया जाएगा।
सडक़ हादसों में कमी लाने के लिए इस बार सरकार ने सडक़ सुरक्षा सप्ताह के स्थान पर ‘राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा माह’ का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत 18 जनवरी से होगी। इसके साथ वाहनों पर रिफ्लेक्टर लगाने का काम पूरे साल चलेगा, जिसके लिए सरकार ने अलग से बजट भी दिया है। इसके साथ परिवहन कार्यालय में ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रेक बन रहा है, जिससे लाइसेंस की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और ड्राइविंग नहीं जानने वाले लोगों को लाइसेंस जारी नहीं होंगे। उम्मीद है वर्ष 2021 में इन सब प्रयासों से हादसों में कमी आएगी।
– ओमप्रकाश चौधरी, जिला परिवहन अधिकारी, नागौर
सडक़ हादसों में कमी लाने के लिए इस बार सरकार के निर्देश पर एक महीने तक जागरुकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके लिए लोगों को जागरूक होना होगा। वाहन चालकों को पुलिस के डर से हैलमेट या सीट बैल्ट लगाने की बजाए खुद की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगाना चाहिए। समझाइश व जागरूक करने के बावजूद यातायात नियमों की पालना नहीं करने पर चालान भी काटे जाएंगे।
– श्वेता धनखड़, पुलिस अधीक्षक, नागौर