नागौरPublished: Oct 02, 2021 10:06:38 pm
Sharad Shukla
Nagaur. वर्ष 2012 में अनुबंध समाप्त होने पर खाली करने की जगह कोर्ट चले गए दुकानदारअपील खारिज हुई तो रोडवेज ने प्रशासनिक अधिकारियों व भारी सुरक्षा बलों की निगरानी में शुक्रवार को खाली करा ली दुकानेंचार से पांच घंटे तक जमे रहे अधिकारी, तब जाकर खाली हुई दुकानें
Nagaur. Chief Manager Usha Chaudhary interacting with the administrative-police officers during the evacuation of shops at the Central Bus Stand
नागौर. रोडवेज में 12 दुकानदारों के अनुबंध वर्ष 2012 में समाप्त होने के बाद खाली करने की जगह कोर्ट में चले गए। कोर्ट में रोडवेज के पक्ष में फैसला होने के बाद यह दुकानें शुक्रवार को प्रशासनिक निगरानी में खाली करा ली गई। हालांकि दुकानदारों ने इसे अवैधानिक बताते हुए प्रशासनिक दखलंदाजी का विरोध किया, लेकिन भारी सुरक्षाबल के चलते इनकी एक नहीं चली, और दुकानें खाली करनी पड़ी। इस संबंध में पीडि़त दुकानदारों की ओर से मुख्य प्रबंधक को ज्ञापन देकर इसके कानूनी पक्ष से अवगत कराते हुए यथोचित कार्रवाई करने के लिए अनुरोध किया, लेकिन बात नहीं बनी। रोडवेज प्रशासन के अनुसार वर्ष 2007 में अधिकतम पांच वर्ष की अवधि के लिए अनुबंध पर 12 दुकानें दी गई थी। प्रतिवर्ष दुकानों का रिन्यूवल भी किया गया था। वर्ष 2012 में अनुबंध समाप्त होने पर रोडवेज की ओर से 12 दुकानदारों को दुकानें खाली करने के लिए निर्देश जारी किए गए, लेकिन दुकानें खाली नहीं की गई। दुकानदारों ने दुकानों को खाली करने से इंकार कर दिया। समझाइश करने पर भी नहीं माने। इस दौरान यह दुकान उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। यहां पर दुकानदारों की ओर से वाद दाखिल कर दिया गया। इसे बाद में सुनवाई के दौरान खारिज कर दिया गया। खारिज होने के बाद इनको कोर्ट की ओर से जयपुर आर्बीट्रेक में क्लेम करने के लिए कहा गया। यहां पर भी इनकी अपनी अपील नहीं मानी गई। इसके बाद भी दुकानदारों ने दुकानें खाली नहीं, बल्कि मेड़ता कोर्ट में एक और वाद दाखिल कर दिया। मेड़ता से प्रकरण नागौर कोर्ट में निस्तारण के लिए भेज दिया गया। यहां पर एडीजे की ओर से सुनवाई के दौरान गत 28 सितंबर को इनकी इनकी अपील को खारिज कर दिया गया। फैसला रोडवेज के पक्ष में आया। इसके बाद रोडवेज की ओर से शुक्रवार को दुकानें प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस सुरक्षा के बीच खाली करा ली गई।चार से पांच घंटे चला मामलाकोर्ट से फैसला रोडवेज के पक्ष में आने के बाद मुख्य प्रबंधक ऊषा चौधरी की ओर से न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था के बीच दुकानों को खाली कराने का अनुरोध किया गया। इसके बाद सुबह नागौर उपखंड अधिकारी सुनील पंवार, प्रशिक्षु आईएएस् मुदूल सिह, आरपीएस विनोद कुमार, कोतवाली ,सदर और महिला थाना के प्रभारी भारी संख्यां में पुलिस जाब्ते के साथ रोडवेज डिपो पहुंचे और दुकान खाली कराने की कवायद शुरू की। इस दौरान दुकानदारों की ओर से इसे अवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया गया, लेकिन मुख्य प्रबंधक की ओर से इस कार्रवाई को पूरी तरह से खाली करने की चेतावनी दी गई। इसके साथ ही पुलिस की मदद से दुकानों को खाली कराने का काम शुरू कर दिया गया। दुकानें खाली कराने का सिलसिला सुबह से लेकर दोपहर बाद तक चला। दुकानें खाली होने के बाद रोडवेज की ओर से इस पर अपने सुपुर्द में लिए जाने की मुहर लगा दी गई।