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सांभर झील:पानी की आवक बढ़ी तो पक्षियों में हुई बढ़ोतरी, 6 विदेशी प्रजातियों का आगमन

locationनागौरPublished: Oct 18, 2021 09:13:14 pm

Submitted by:

Ravindra Mishra

पत्रिका लाइव रिपोर्टनावां शहर. विश्वस्तरीय सांभर झील का स्थानीय प्रशासन व वन विभाग के साथ मिलकर एकोलॉजिस्ट टिके रॉय ने सोमवार को पक्षियों का विधिवत आंकलन किया। जिसमें सांभर झील में पानी की आवक व पक्षियों की अधिकता को देखते हुए रॉय ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि सांभर झील में पहले से कई गुना ज्यादा पक्षी पानी की अच्छी आवक से नजर आने लगे है। इसके साथ ही 6 तरह की विदेशी प्रजाति भी हजारों में अतिरिक्त नजर आ रही है।

सांभर झील:पानी की आवक बढ़ी तो पक्षियों में हुई बढ़ोतरी, 6 विदेशी प्रजातियों का आगमन

नावां में झील क्षेत्र में पक्षियों के बारे में जानकारी जुटाते इकॉलाजिस्ट टी.के.रॉय ।


पक्षी त्रासदी में सबसे ज्यादा नॉर्थन शॉवर की हुई थी मौत, पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा परिंदों का आंकड़ा

इकोलॉजिस्ट कंजर्वेशनिस्ट, एशियन वाटर बर्ड सेंसर्स, दिल्ली स्टेट कोऑर्डिनेटर वेटलैंड इंटरनेशनल से टीके रॉय ने संपूर्ण झील का भ्रमण किया। जिसमें उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष 10 नवंबर को 75 प्रतिशत झील क्षेत्र सूखा था। उस समय मात्र 83 पक्षी देखने को मिले थे। यहां 7 प्रजाति के पक्षी थे। जिनमें 3 प्रजाति रेजिडेंट 4 विदेशी प्रजाति मौजूद थी।
इस बार 3 से 4 हजार तो चिडिय़ा अलग

4 से 5 हजार लेसर, ग्रेटर फ्लेमिंगो हैं। दोनों तरह के और 6 प्रजाति विदेशी पक्षियों की मौजूदगी है। इसके साथ ही एक प्रजाति नॉर्थन शॉवर इस समय सबसे ज्यादा है। इससे पहले जबकि पक्षी त्रासदी में सबसे ज्यादा नुकसान इस पक्षी को हुआ था। रॉय ने बताया कि इस बार पक्षियों की आवक अच्छी हुई है और पानी का स्तर बना रहे इस पर विचार करने की बात है। अगर पानी ज्यादा दिन रूक सकता है,तो पक्षियों के प्रजनन में भी बहुत बड़ा योगदान रहेगा।
झील क्षेत्र में कचरे देख जताई नाराजगी

शहर की खाखडक़ी रोड से झील क्षेत्र में प्रवेश करते समय सांभर झील का एक बोर्ड लगा हुआ है। जो की अभी आइकॉनिक सप्ताह में लगाया गया है। उससे पहले और उसके ठीक नीचे साइड में कचरे के ढेर लगे है। जिनको देख कर टीके रॉय ने कहा कि वेटलैंड अथॉरिटी के क्या ऐसे ही होते है काम। इस तरह झील में कचरा रहा तो झील के लिए खतरा है।
रॉय ने पक्षियों की गणना के साथ ही बताया कि सांभर झील के किनारे सूखना शुरू हो गए है। नवम्बर अंत तक पानी सूख जाएगा। इस बार झील में जयपुर फील्ड की तुलना में नागौर फील्ड में पक्षियों का आंकड़ा अधिक है।
झील की सुरक्षा व सरक्षंण को लेकर कोई जिम्मेदार विभाग द्वारा कार्य नहीं किया जा रहा है। झील में अभी भी सैकड़ों की तादात में अवैध बोरवेल है। पानी का दोहन के साथ ही अपशिष्ट व शहर का कचरा भी डाला जा रहा है। लेकिन सब इसको लेकर अपनी-अपनी रोटियां सेक रहे हैं।
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