scriptविरासत-1 मिट्टी से बना एक ऐसा किला जिस पर नहीं होता था तोप के गोलों का असर | Sand made Nagaur fort attract tourist across the world | Patrika News

विरासत-1 मिट्टी से बना एक ऐसा किला जिस पर नहीं होता था तोप के गोलों का असर

locationनागौरPublished: Jun 22, 2018 12:57:22 pm

Submitted by:

Dharmendra gaur

स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है अहिछत्रगढ किला , इसकी खूबसूरती पर्यटकों को खींच लाती है नागौर…

Nagaur fort news in hindi

मिट्टी से बना एक ऐसा किला जिस पर नहीं होता था तोप के गोलों का असर

-वीर भूमि राजस्थान के नागौर शहर में स्थित ऐतिहासिक किला आज भी अपनी विशेषताओं के कारण विश्व प्रसिद्ध है
नागौर. राजस्थान के नागौर का किला एकमात्र ऐसा किला है, जिस पर दागे गए तोप के गोले किले को क्षति पहुंचाएं बिना ऊपर से निकल जाते हैं। यह राजस्थान का सबसे अच्छा सपाट भूमि पर बना किला है। अपनी ऊंची दीवारों और विशाल परिसर के लिए प्रसिद्ध है। नागौर का किला नागौर शहर में स्थित एक प्रमुख और आकर्षक पर्यटन स्थल है। यह एक सुंदर रेतीला गढ़ है जिसे चौथी सदी में बनाया गया था। नाग वंशियों द्वारा निर्मित नागौर दुर्ग महाभारत कालीन अन्य बहुत से दुर्गों की भांति मिट्टी से बना था। तिथियां बदलती रही और यह भी काल के थपेड़ों को सहन करता हुआ बदलता रहा। आज नागौर दुर्ग का जो वर्तमान स्वरूप दिखाई देता है वह राजाधिराज बख्तसिंह के समय का प्रतीत होता है। जिसमें कुछ संरचनाएं अत्यंत पुरानी ओर कुछ उसके बाद की है। बताया जाता है कि 16वीं शताब्दी में किले का पत्थर से निर्माण शुरू हुआ।
मिट्टी का बना था किला
नागौर दुर्ग भारत के प्राचीन क्षत्रियों द्वारा बनाए गए दुर्गों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस दुर्ग के मूल निर्माता नाग शत्रिय थे। नाग जाति महाभारत काल से भी कई हजार साल पुरानी थी। यह आर्यों की एक शाखा थी तथा इक्ष्वाकु वंश से किसी समय अलग हुई। महाभारत काल में नागौर तथा पूर्व वंशजों के बीच राजनीतिक सत्ता को लेकर विराट संघर्ष हुआ, जिसके चलते बहुत से लोग नागों को औरों से अलग जाति मानने लगे। महाभारत काल के जन्मेजय यज्ञ के बाद ही नागों की बहुत क्षति हुई किंतु कालांतर में नागों का एक बार फिर से अभ्युदय हुआ, जो मगध के गुप्त वंश के उदय होने तक चलता रहा। गुप्तों ने नागौर को अपने अधीन कर लिया। इसके बाद नाग छोटे-छोटे राजाओं के रूप में राज्य करने लगे। वर्तमान नागौर भी उन्हीं नागौर की एक राजधानी थी। उन्होंने ही यह नाथ दुर्ग बनाया जो अहिछत्रगढ तथा नागौर किले के नाम से विख्यात हुआ। नागौर का किला वीरवर राव अमरसिंह राठौड़ के नाम से प्रसिद्ध है।
कई युद्धों का गवाह
यह किला बीते युग में लड़े गए कई युद्धों का गवाह है। यह राजस्थान का सबसे अच्छा सपाट भूमि पर बना किला है अपनी ऊंची दीवारों और विशाल परिसर के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक किले के अंदर आकर कई महलों, फव्वारे, मंदिरों और खूबसूरत बगीचों को देख सकते हैं। इस किले का निर्माण नागावंशियों के द्वारा किया गया था और बाद में किले को मोहम्मद बहलीन द्वारा पुनर्निर्मित करवाया गया।
दुश्मनों की पहुंच से दूर
किले के छह मुख्य प्रवेश द्वार हैं, पहला प्रवेश द्वार लोहे और लकड़ी के नुकीले कीलों से मिलकर बना है जो दुश्मनों और हाथियों के हमलों से रक्षा करने के उद्देश्य से बनाया गया था। दूसरा प्रवेश द्वार बिचली पोल है तीसरा कचहरी पोल, चौथा सूरज पोल, पांचवां धु्रती पोल, छठा राज पोल है। आखिरी दरवाजे को प्राचीन काल में नागौर की न्यायपालिका के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसके अलावा यहां राजा का दीवान ए आम में दरबार लगता था, जहां राजा लोगों की समस्याएं सुनते थे।
संजोए रखा गौरवशाली इतिहास
नागौर की सुंदरता यहां के पुराने किलों व छतरियों में है, जिसका उत्कृष्ट उदाहरण हमें नागौर में प्रवेश करते ही देखने को मिलता है। इस नगरी में प्रवेश करने के लिए तीन मुख्य द्वार है, जिनके नाम देहली द्वार, त्रिपोलिया द्वार तथा नकाश द्वार है। किले के भीतर भी छोटे-बड़े सुंदर महल व छतरियां हैं, जो हमें राजस्थान के गौरवशाली इतिहास में खीच ले जाते हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो