पत्रिका से विशेष बातचीत में संतोष चौधरी ने अपनी सफलता का श्रेय पिता सुखाराम व माता गीता देवी के अटूट विश्वास से सहयोग को दिया है। संतोष ने बताया कि उन्होंने जीवन में हमेशा पढ़ाई व स्वावलम्बन को प्राथमिकता दी। स्वामी केशवानंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बी.टेक व वनस्थली विश्वविद्यालय से एम.टेक करने के बाद संतोष ने देश के प्रतिष्ठित रिसर्च संस्थान भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में वर्ष 2013 से 2015 तक चंद्रमा व मंगल ग्रह पर पानी की खोज के विषय पर रिसर्च किया। इसके बाद कुछ दिन जोधपुर काजरी में भी सर्विस की। इस बीच संतोष को न्यूजीलेंड के विश्वविद्यालय से पीएचडी का ऑफर मिला, लेकिन उसे ठुकराते हुए देश सेवा करने की ठानी और सिविल सर्विसेज की तैयारी करने लगी।
संतोष ने बताया कि यूपीएससी की तैयारी के दौरान काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई बार यूं लगा कि सफल नहीं हो पाएंगी, लेकिन माता-पिता के आशीर्वाद व भाई हेमंत कुमार व भाभी अवनिता चौधरी ने हर मोड़ पर उनका सहयोग किया और मनोबल बढ़ाया। यूपीएससी के तीसरे प्रयास में सफलता प्राप्त करने वाली संतोष ने बताया कि कठिन परिश्रम, सतत प्रयास व दृढ़ निश्चय के साथ यदि परिवार के लोगों का सहयोग मिले तो कोई भी मंजिल दूर नहीं है। संतोष ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग लिए प्राप्त की है।