परिजनों के सहयोग से मिला मुकाम
उधर, दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे नागौर जिले के खींवसर उपखंड के इसरनाड निवासी गिरधर बेनीवाल ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि जयपुर के एसकेआईटी कॉलेज से इलेक्ट्रिल इंजीनियरनिंग करने के बाद ही उन्हें सिविर सर्विस को अपना लक्ष्य बना लिया। इसमें सबसे अहम योगदान पिता मूलाराम बेनीवाल का रहा। उन्होंने हमेशा उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया। चाचा किशनाराम जोंइंट कमिश्रर जीएसटी हैं। जिनका भी मार्गदर्शन मिला। बिरलोका के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नागौर के शारदा बाल विद्यालय से बारहवीं की। यहां से आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और उसके बाद प्रशासनिक सेवा में जाना ही लक्ष्य बना लिया। बेनीवाल की मां सुखी देवी गृहिणी है।
उधर, दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे नागौर जिले के खींवसर उपखंड के इसरनाड निवासी गिरधर बेनीवाल ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि जयपुर के एसकेआईटी कॉलेज से इलेक्ट्रिल इंजीनियरनिंग करने के बाद ही उन्हें सिविर सर्विस को अपना लक्ष्य बना लिया। इसमें सबसे अहम योगदान पिता मूलाराम बेनीवाल का रहा। उन्होंने हमेशा उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया। चाचा किशनाराम जोंइंट कमिश्रर जीएसटी हैं। जिनका भी मार्गदर्शन मिला। बिरलोका के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नागौर के शारदा बाल विद्यालय से बारहवीं की। यहां से आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और उसके बाद प्रशासनिक सेवा में जाना ही लक्ष्य बना लिया। बेनीवाल की मां सुखी देवी गृहिणी है।
सीनियर्स के सहयोग और समय प्रबंधन से मिली मंजिल
अपने चौथे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले तारानगर के उपखंड अधिकारी रामनिवास बुगलिया ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि उन्होंने आरएएस में 31वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना ही मेरे जीवन का लक्ष्य था। इसमें मेरे सीनियर्स का सहयोग तो मिला ही, लेकिन उपखंड अधिकारी जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए तैयारी के लिए समय प्रबंधन से यह मंजिल हासिल हुई। बुगालिया ने बताया कि उन्होंने आईटी में एमटेक करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी। उनके पिता भोजराज बुगलिया पेशे से शिक्षक हैं। जबकि मां गृहिणी है।