scriptनागौर जिले के यह ‘एसपी’ अब असल जिंदगी में एसपी बनेंगे | Sarpanch Pati Selected in Civil Service Exam from Nagaur | Patrika News

नागौर जिले के यह ‘एसपी’ अब असल जिंदगी में एसपी बनेंगे

locationनागौरPublished: Apr 06, 2019 12:17:02 pm

Submitted by:

Rudresh Sharma

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ias Exam

नागौर. आजकल आमबोलचाल की भाषा में महिला सरपंच के पति को ‘एसपी’ कहा जाता है। ऐसे ही एक ‘एसपी’ हैं नागौर जिले की राणीगांव ग्राम पंचायत सरपंच श्रवणी देवी के पति राजेन्द्र डूडी। राजेन्द्र ने शुक्रवार को घोषित हुए सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम में ५९०वीं रैंक हासिल की है। उनका अनुमान है कि उन्हें आईपीएस की बनने का मौका मिल सकता है।
वर्तमान में चैन्नई में कस्टम अधिकारी के पद पर तैनात राजेन्द्र डूडी ने आईआईटी खडगपुर से बी टेक करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। उन्होंने छठे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की। चार बार इंटरव्यू में रह गए। राजेन्द्र की पत्नी श्रवणी देवी रानीगांव की सरपंच है। जबकि पिता उगमाराम डूडी मकराना में पंचायत प्रसार अधिकारी के रूप में कार्यरत है। मां मोहिनी देवी गृहिणी है। वे २०१६ से कस्टम विभाग में कार्यरत है।
परिजनों के सहयोग से मिला मुकाम
उधर, दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे नागौर जिले के खींवसर उपखंड के इसरनाड निवासी गिरधर बेनीवाल ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि जयपुर के एसकेआईटी कॉलेज से इलेक्ट्रिल इंजीनियरनिंग करने के बाद ही उन्हें सिविर सर्विस को अपना लक्ष्य बना लिया। इसमें सबसे अहम योगदान पिता मूलाराम बेनीवाल का रहा। उन्होंने हमेशा उन्हें सिविल सेवा में जाने के लिए प्रेरित किया। चाचा किशनाराम जोंइंट कमिश्रर जीएसटी हैं। जिनका भी मार्गदर्शन मिला। बिरलोका के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के बाद उन्होंने नागौर के शारदा बाल विद्यालय से बारहवीं की। यहां से आईआईटी की तैयारी के लिए कोटा गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने इंजीनियरिंग में दाखिला लिया और उसके बाद प्रशासनिक सेवा में जाना ही लक्ष्य बना लिया। बेनीवाल की मां सुखी देवी गृहिणी है।

सीनियर्स के सहयोग और समय प्रबंधन से मिली मंजिल
अपने चौथे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले तारानगर के उपखंड अधिकारी रामनिवास बुगलिया ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि उन्होंने आरएएस में 31वीं रैंक हासिल की थी। लेकिन भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाना ही मेरे जीवन का लक्ष्य था। इसमें मेरे सीनियर्स का सहयोग तो मिला ही, लेकिन उपखंड अधिकारी जैसे जिम्मेदार पद पर रहते हुए तैयारी के लिए समय प्रबंधन से यह मंजिल हासिल हुई। बुगालिया ने बताया कि उन्होंने आईटी में एमटेक करने के बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी। उनके पिता भोजराज बुगलिया पेशे से शिक्षक हैं। जबकि मां गृहिणी है।
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