नागौरPublished: Jul 27, 2021 09:29:25 pm
Sharad Shukla
Nagaur. रामपोल सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास सत्संग के दौरान प्रवचन करते हुए कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि मनुष्य को सुधारने के लिए सत्संग के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है
Narrator Ramataram giving a discourse
नागौर. रामपोल सत्संग भवन में चल रहे चातुर्मास सत्संग के दौरान प्रवचन करते हुए कथावाचक संत रमताराम महाराज ने कहा कि मनुष्य को सुधारने के लिए सत्संग के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है। बिना सत्संग के व्यक्ति को विवेक की प्राप्ति नहीं होती। सत्संग प्रभु की कृपा के बिना नहीं मिलता। सत्संग से मूर्ख व्यक्ति भी सुधर जाता है, जैसे पारस मणि को छूकर लोहा सोना बन जाता है। दुर्गणी व्यक्ति को सज्जन पुरुषों का साथ मिल जाए तो उसके जीवन में भी परिवर्तन आना शुरू हो जाता है। यह सत्संग का ही प्रभाव है की सज्जन व्यक्ति दुर्जनों के बीच में रहेगा तो भी अपने सद्गुणों को नहीं छोड़ेगा। उदाहरण के तौर पर विभीषण महाराज लंका में दुर्गणियों के बीच में रहते हुए भी सज्जनता का स्वभाव नहीं छोड़ा। रामनामी महंत मुरलीराम महाराज ने कहा कि जीवन में किसी भी विकट परिस्थिति में सत्संग का प्रभाव उसे गिरने नहीं देता है। सत्संग करने वाला व्यक्ति अपने आप को सत्संग के प्रभाव से खुद को संभाल लेता है। सत्संग की महिमा का कोई गुणगान नहीं कर सकता है। संत महात्माओं का सत्संग के कारण ही सम्मान चित होता है। सत्संगी तो अहित करने वाले का भी कल्याण ही सोचते हैं। दुष्ट व्यक्ति कितने भी कटु वाक्य बोल दे, संत फिर भी सत्संग के प्रभाव से उस व्यक्ति को सुधारते हैं। इस दौरान साध्वी मोहनी बाईजी ने भजन रामजी साध सगत मोहि दिजो प्रस्तुत किया। बाल संत रामगोपाल रामस्नेही ने हसला चुगले चुगले मोतीडा चूण व भक्त मोहनराम भाबु ने मै अरज करु गुरु थाने भजन प्रस्तुत किया। वही इस मौके पर नदकिशोर बजाज, मदनमोहन बंग, राम अवतार शर्मा, नंदलाल प्रजापत , मनोज शर्मा, सुखाराम चौधरी, मनोज प्रजापत आदि मौजूद थे।