जापी में प्रकाशित हो चुका है शोध पत्र
डॉ. भाकल ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में वर्ष 2011 से 2014 तक हजारों मरीजों को देखने के बाद कुछ चयनित मरीजों पर गठिया रोग का जल्द पता लगाकर इलाज शुरू करके उसे मॉनिटर करने के लिए ‘एसीपीए’ टेस्ट ईजाद किया। यह टेस्ट इस रोग की संभावनाओं को प्रारम्भिक अवस्था में ही पहचान लेता है और गठिया रोग एवं उसके प्रकारों को अलग-अलग वर्गीकृत कर शीघ्र पहचान कर प्रभावी इलाज लागू करने में मदद करता है। इस संबंध में डॉ. भाकल द्वारा वरिष्ठ गठिया रोग विशेषज्ञ डॉ. रेणु सहगल के निर्देशन में किए गए शोध को ‘जर्नल ऑफ द एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया’ (जापी) ने अप्रेल 2018 में प्रकाशित किया है। गौरतलब है कि नई दिल्ली एम्स में सेवा देने के दौरान डॉ. भाकल के दो शोध पत्र दुर्लभतम बीमारियों – न्यूरोमाइलाइटिस ऑप्टिका व चर्गस्ट्रॉस सिंड्रोम पर इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं।
जिले के मरीजों को मिले फायदा
मैंने जयपुर एसएमएस व दिल्ली एम्स में रहते हुए गठिया रोग पर काफी शोध किए। उनका फायदा नागौर जिले के लोगों को मिले, इसके लिए लगातार प्रयासरत हूं। गठिया रोग की जांच जेएलएन में शुरू कराने के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा है। जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आने की उम्मीद है।
डॉ. सुरेन्द्र भाकल, फिजिशियन, जेएलएन अस्पताल, नागौर
समय पर पहचान जरूरी
प्रदेश में गठिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन इस रोग के विशेषज्ञों की काफी कमी है। इसके कारण मरीजों को सही उपचार नहीं मिल पाता। गठिया एक ऐसा रोग है, जिसका शुरू में इलाज जरूरी है, अन्यथा बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है। इसके कई प्रकार हैं, जिनकी पहचान करने में एसीपीए सटीक जांच है।
डॉ. रेणु सहगल, वरिष्ठ गठिया रोग विशेषज्ञ व पूर्व विभागाध्यक्ष (मेडिसिन), एसएमएस, जयपुर
जांच के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा
जेएलएन अस्पताल, नागौर में फिजिशियन डॉ. सुरेन्द्र भाकल ने जिले के गठिया रोगियों को स्थानीय स्तर पर उपचार दिलाने एवं रोग की पहचान करने के लिए एंटी सिट्रूलिनेटेड प्रोटिन एंटीबॉडी (एसीपीए) टेस्ट नागौर के जेएलएन अस्पताल में शुरू कराने के लिए पीएमओ के माध्यम से निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को पत्र लिखा है। वे उच्चाधिकारियों से व्यक्तिगत तौर पर मिल भी चुके हैं। उनका मानना है कि जेएलएन में यदि एसीपीए टेस्ट शुरू हो जाए तो गठिया के निदान व उपचार में बड़ी सफलता मिलेगी। दवाइयां भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के प्रयास किए जा रहे हैं।