संदीप पाण्डेय नागौर. तकरीबन 35 साल होने को आए। गए तो शांति के दूत बनकर थे पर युद्ध झेलना पड़ा। एक बारगी तो वापस आने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। जयपुर रियासत के पूर्व महाराज और सेना में कर्नल रहे भवानीसिंह अगर टैंक लेकर नहीं पहुंचते तो जिंदा नहीं रहते। करीब दो साल दो महीने का अरसा, दो-चार घंटे कभी आराम तो कभी तीन-तीन दिन तक गोलीबारी। पग-पग पर बारूद बिछा था, आलम यह था कि टैंक तक रेल की पटरी पर पहुंचे थे। मौत पल-पल आने का अंदेशा था। सुकून दूर-दूर तक नहीं था, लंबे समय के संघर्ष ने आखिर एक दिन उन्हें सस
नागौर•Jan 27, 2022 / 10:56 pm•
Sandeep Pandey
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