साथ ही आसपास के शहरों मकराना, कुचामनसिटी, परबतसर बूड़सू, बरवाला, बरवाली, मंगलाना, बोरावड़ से भी लोगों का आने का क्रम शुरु हो गया। आई.टी. केन्द्र जूसरी से भाकरों की ढाणी तक शहीद का शव खुले वाहन में रखकर जुलूस के साथ घर पहुंचा। इस दौरान लोगों ने भारत माता, भारतीय सेना एवं शहीद हरी भाकर के जयकारों से आकाश गूंजायमान कर दिया। शहीद के निवास पर जैसे ही उसका शव पहुंचा, उसके परिजन भावुक हो गए तथा अपने कलेजे के टुकड़े को गले से लगाकर फूट-फूटकर रो पड़े। घर पर धार्मिक परम्पराओं का निर्वहन करने के बाद पुन: शहीद का शव अंतिम संस्कार के लिए रवाना हुआ। ढाणी के मोक्षधाम के निकट स्थित ओरण भूमि पर उनका अंतिम संस्कार हुआ। जिला प्रशासन की ओर से जिला कलक्टर दिनेश यादव एवं जिला पुलिस की ओर से कप्तान गगनदीप सिंगला सहित राज्य सरकार के उपमुख्य सचेतक महेन्द्र चौधरी, मकराना विधायक रूपाराम मुरावतिया, परबतसर विधायक रामनिवास गावडिय़ा, डीडवाना विधायक चेतन डूडी, लाडनू विधायक मुकेश भाकर, पूर्व विधायक जाकिर हुसैन गैसावत, श्रीराम भींचर, राकेश मेघवाल, भाजपा नेता ज्ञानाराम रणवां, हरेन्द्र चौधरी, पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की।
जुड़वा भाई हरेन्द्र ने दी मुखाग्रि
शहीद हरी के शव को उसके जुड़वा भाई हरेन्द्र भाकर ने मुखाग्नि दी। हरेन्द्र भी भारतीय सेना में तैनात है तथा वर्तमान में जबलपुर में पदस्थापित है। जैसे ही हरी की चिता को मुखाग्रि दी गई हजारो ग्रामीणों ने ‘हरी भाकर अमर रहे’ तथा ‘हिंदुस्तान जिन्दाबाद’ के नारों से आकाश गूंजायमान कर दिया। इससे पहले जब शहीद का शव जब जुलूस के रूप में रवाना हुआ तो हजारों महिलाएं अंतिम दर्शनार्थ घरों की छतों पर खड़ी हो गई। लोगों ने मार्ग में शहीद के शव पर फूल बरसाकर उन्हें नमन किया।
जमकर लगे पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे
युवाओं ने पाकिस्तान द्वारा बार-बार की जा रही कायराना करतूत के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की। युवाओं ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। यहां तैनात थे हरि-गौरतलब है कि हरी भाकर 23 मार्च को जम्मू के पूंछ में ग्रेनेडियर तैनात थे और पाकिस्तान की तरफ से सीज फायर का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा पर गोलीबारी की गई। ग्रेनेडियर हरि भाकर ने अपने अदम्य साहस और वीरता दिखाते हुए पाकिस्तान की नापाक हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया तथा दुश्मन देश की दो चौकियों को उड़ा दिया। इस दौरान पाकिस्तान के चार जवान भी मारे गए थे लेकिन इसी दौरान पाकिस्तान की तरफ से फायर में एक गोला बंकर की दीवार से टकराया और हरी भाकर की कमर के निचले हिस्से में आकर लगा। फिर भी भाकर दुश्मनों से लड़ते रहे और जब गंभीर घायल हो गए तो उन्हें सैन्य अस्पताल लाया गया जहां वे वीरगति को प्राप्त हो गए। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल- भाकर के परिजनों को शहादत की सूचना दी गई तो घर मे मां का रो रोकर बुरा हाल था। जिस बहन को हरी ने एक महीने पहले ही पीले हाथ कर विदा किया था, उस पर भी भाई के शहीद होने की सूचना मिलने पर पहाड़ टूट पड़ा।
और बेटे होते तो उन्हें भी सेना में ही भेजता
हरी भाकर के शहीद होने के बावजूद उनके पिता में अदम्य साहस देखा गया। शहीद के पिता पदमाराम ने कहा कि मुझे अपने शहीद बेटे पर गर्व है, जो देश सेवा के काम आया है। मुझे भी मौका दे तो में भी सेना में जाकर देश सेवा कर सकता हूं। हरी के पिता ने कहा कि उनके दो बेटे है, दोनों भारतीय सेना में है। यदि और बेटे होते तो उन्हें भी सेना में ही भेजता। शहीद के भाई हरेन्द्र भाकर ने कहा कि उसके भाई ने देश सेवा में जान न्यौंछावर कर दी और जरूरत पड़ी तो मैं भी तैयार हूं। हमें पाकिस्तान की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
राज्य सरकार शहीद परिवार के साथ
इस दौरान प्रदेश के सैन्य कल्याण मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि प्रदेश सरकार शहीद परिवार के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आये अन्यथा जब भारतीय सेनाएं पलटकर जवाब देगी तो एक बार फिर पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे। चौधरी ने भी नमन किया हरी की शहदात को-प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से शहीद हरी भाकर की शहादत को नमन करते हुए केन्द्रीय राज्य मंत्री सी.आर. चौधरी ने कहा कि नि:संदेह नागौर जिला एवं राजस्थान वीरों की भूमि है। शहीद हरी भाकर जैसे वीर सेना पर तैनात होने के कारण ही हम देश में अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है। पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार-शहीद का पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा पुष्प चक्र अर्पित किए जाने के बाद सेना द्वारा बैण्ड पर मातमी धुन बजाई गई। सेना एवं आर.ए.सी. के जवानों ने शस्त्र झुकाकर शहीद के शव को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। सेना द्वारा केन्द्रीय मंत्री सी.आर. चौधरी एवं प्रदेश सरकार के काबिना मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास की मौजूदगी में शहीद के पिता एवं भाई को वह तिरंगा भेंट किया गया, जिसमें शहीद का शव लिपटा हुआ था।